मध्य प्रदेश में विद्युत मंडल एवं उसकी उतरवर्ती कंपनियों के पेंशनरों को महंगाई राहत दिए जाने में भेदभाव किया जा रहा है, जिससे न सिर्फ विद्युत विभाग के पेंशनरों बल्कि फैमिली पेंशन पाने वाले परिवार अत्यंत दुखी हैं। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पीएस यादव एवं सचिव वीके अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश के ऊर्जा विभाग एवं विद्युत कंपनियों द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री को गुमराह किया जा रहा है एवं वर्तमान में 11% कम महंगाई राहत प्रदान की जा रही है।
पीएस यादव एवं सचिव वीके अग्रवाल ने बताया कि पेंशनरों के पक्ष में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनेकों प्रकरणों में समय-समय पर स्पष्ट आदेश पारित किए हैं जिनकी भी स्पष्ट अनदेखी की जा रही है तथा विद्युत विभाग के पेंशनरों के प्रकरण में तो सारी सीमाएं पार कर दी गई हैं। ज्ञातव्य है कि विद्युत मंडल के पेंशनरों को मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा पारित आदेश के तहत ऊर्जा देयकों के माध्यम से प्रदेश के सम्मानीय उपभोक्तों से पेंशन के मद में दी जाने वाली पूर्ण राशि एक मुश्त पूर्व में ही वसूल कर ली गई है पर उसका भुगतान पेंशनरों को नही कर घोर अनियमितता की जा रही है।
मध्य प्रदेश एक अति महत्व पूर्ण प्रदेश है जहाँ डबल इंजिन की सरकार है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री देश के पेंशनरों को उनके समस्त न्याय संगत लाभ समय समय पर देना सुनिश्चित करते हैं। देश में बढ़ती हुई महंगाई के अनुसार पेंशनरों को महंगाई राहत प्रदान की जाती है एवं वर्तमान में 38% की दर से महंगाई राहत का भुगतान संपूर्ण देश में किया जा रहा है।
तदानुसार ही मध्य प्रदेश के पेंशनरों को भी 33% महंगाई राहत प्रदान की जा रही है, परंतु मध्य प्रदेश विद्युत मंडल और उसकी उत्तरवर्ती कंपनियों के पेंशनरो को मात्र 22% महंगाई राहत प्रदान किया जाना कहां तक न्याय संगत है। क्या मध्य प्रदेश बिना विद्युत कर्मियों की अनवरत सेवा के विकसित राज्य बनने की कल्पना कर सकता है? क्या विकास का पहिया बिना बिजली के आगे बढ़ाया जा सकता है, निश्चित तौर पर कभी नहीं। ऐसी परिस्थिति में विद्युत विभाग के पेंशनरो को वाजिब महंगाई राहत न दिये जाने के कारण समस्त पेंशनर अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। विद्युत मंडल और उसकी उत्तरवर्ती कंपनियों के पेंशनरों को शेष 11% महंगाई राहत पूर्व निर्धारित तारीख से प्रदान किए जाने की मांग की जाती है।