कोरोना काल की कठिन परिस्थितियों में अथक परिश्रम से प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को सुचारू रखने वाले नियमित, संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को उनकी सेवा का उचित प्रतिफल मिलना चाहिए। क्योंकि इन कठिन परिस्थितियों के दौरान भी हर श्रेणी के मैदानी विद्युत कर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए उपभोक्ता सेवा को सर्वोपरि माना और अपना बलिदान दे दिया।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2020 से कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी की चपेट में आने की वजह से हजारों की तादाद में नियमित संविदा एवं आउटसोर्स कर्मी जानलेवा संक्रमण की चपेट में आ गए और सैंकड़ों कर्मी असमय काल कवलित हो गए।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता सेवा को सर्वोपरि मानते हुए मध्य प्रदेश के 52 जिलों की विद्युत व्यवस्था को चलायमान रखने में सबसे बड़ी भूमिका नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों की रही। इस समय की सबसे कठिन परिस्थितियों में जब कोरोना संक्रमण के डर से लोगों ने अपने-अपने घरों में खुद को आपको बंद कर लिया था, उस समय ऊर्जावान तकनीकी कर्मी अपना कर्तव्य निभाने में जुटे रहे।
उन्होंने कहा कि इस दौरान विद्युत कर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए उपभोक्ताओं के घर जाकर उनकी बंद बिजली चालू की, मेंटेनेंस का कार्य किया, विद्युत लाइन पे वृक्ष गिरने पर उसकी कटाई की, पोल गिरने पर उसको खड़ा कर विद्युत तंत्र को चलायमान रखा, इस तरह किसी भी उपभोक्ता को परेशानी नहीं होने दी।
तकनीकी कर्मचारी संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, शशि उपाध्याय, रमेश रजक, केएन लोखंडे, एस के मौर्य, एस के शाक्य, अरुण मालवीय, अमीन अंसारी, मदन पटेल, दशरथ शर्मा, महेश पटेल, ख्याली राम, राम शंकर, राम शंकर सहाय, राम मिलन पटेल, इंद्रपाल, सुरेंद्र मिश्रा, संजय वर्मा आदि ने मप्रविमं की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों के प्रबंधकों से मांग की है कि कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बिना 24 घंटे 7 दिन विद्युत लाइनों के सुधार कार्य करने में लगे नियमित, संविदा कर्मचारी को दो-दो वार्षिक वेतन वृद्धि दी जावे एवं आउटसोर्स कर्मियों का वेतन 5000 रुपये बढ़ा कर दिया जाए। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले संविदा व आउटसोर्स कर्मियों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति दी जाए।