मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों को इस बात की चिंता हमेशा सताती है कि अगर नौकरी में रहते उन्हें कुछ हो गया तो, उन पर आश्रित उनके परिजनों का ध्यान कंपनी रखेगी कि नहीं। यूं तो आम प्रचलन में कंपनी प्रबंधन अपने स्टाफ को अपना परिवार बताता है, लेकिन जब इसी परिवार के किसी सदस्य पर विपदा आती है तो यही कंपनी प्रबंधन सबसे पहले मुंह मोड़ लेता है।
मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों के प्रबंधन के ऐसे अनेक उदाहरण है, जब उसने अपने कर्मचारियों को सिर्फ निराश ही किया है। खासतौर पर पूरी निष्ठा से अपने जीवन का अनमोल समय कंपनी को देने वाले कर्मचारी जब असमय काल कवलित हुए तो उनके परिजनों को गले लगाने की बजाए कंपनी प्रबंधन ने उन्हें दुत्कार दिया।
दशकों से अनुकंपा नियुक्ति की राह देख रहे विद्युत कंपनियों के अनुकंपा आश्रित धीरे-धीरे उम्र के उस मोड़ पर आ पहुँचे गए हैं, जहाँ से अब उनके पास आगे जाने का कोई रास्ता शेष नहीं बचा है। प्रदेश सरकार और कंपनी प्रबंधन से वे इस उम्मीद से अनुकंपा नौकरी की गुहार लगा रहे हैं ताकि बाकी बचा जीवन कुछ सुखमय व्यतीत हो जाये और अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से कर सकें।
लेकिन विद्युत विभाग में नौकरी की आस में कई युवा अब प्रौणावस्था में पहुंच चुके हैं। आर्थिक दुश्वारियां झेलते हुए जैसे तैसे जीवन व्यतीत कर रहे इन अनुकंपा आश्रितों को विद्युत कंपनी प्रबंधनों से अब भी मानवीयता की उम्मीद है। इसी आस में अनुकंपा आश्रित दर-दर गुहार लगाने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विद्युत कंपनियों ने खस्ता आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए 1998 से 2012 तक अनुकंपा नियुक्ति पर रोक लगा रखी थी। इस दौरान मप्र की विद्युत कंपनियों ने किसी मृत कर्मचारी के परिजन को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की।
वहीं कर्मचारी संगठनों और अनुकंपा आश्रितों के दबाव के चलते नई अनुकंपा नीति की घोषणा की गई तो विद्युत कंपनियों के प्रबंधन ने शातिराना अंदाज़ में मौतों का बंटवारा करते हुए नई अनुकंपा नीति के अंतर्गत सिर्फ कार्य के दौरान दुर्घटना में मृत हुए विद्युत कर्मियों के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान कर दिया।
जिसके कारण इस अवधि में बीमारी या प्राकृतिक रूप से मृत हुए हजारों विद्युत कर्मचारियों के आश्रित अनुकंपा नियुक्ति से वंचित हो गये हैं। अनुकंपा आश्रित लगातार प्रदेश सरकार और विद्युत कंपनियों के समक्ष नियुक्ति के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।
अनुकंपा आश्रितों का कहना है कि जब विद्युत कंपनियां मध्य प्रदेश सरकार के अंतर्गत आती है, तो यहां भी सरकार के सभी विभागों की तरह बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए और अनुकंपा नियुक्ति पर जिस तारीख से रोक लगी थी,तब से लेकर आज तक जितने भी विद्युत कर्मचारी मृत हुए हैं सबके परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।