मप्र मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी मुख्यालय ने भोपाल एवं ग्वालियर रीजन के 56 डिवीजन एवं 359 वितरण केन्द्र जोन सहित 532 कार्यालय एवं सबस्टेशनों में कार्यरत 14 हजार बिजली कर्मचारियों को एंड्रायड मोबाइल एप के मध्यम से सेल्फी आधारित उपस्थिति प्रणाली से अटेंडेंस लगाने का फरमान गत 7 सितम्बर को जारी किया है। इससे वह कर्मचारी खासे परेशान हैं, जिनके पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है। अब इन कर्मियों का माह अक्टूबर 2022 का वेतन भी झमेले में पड़ता दिख रहा है।
इस नये फरमान से 8 सालों से बिजली कंपनी में इस्तेमाल किये जा रहे लाखों रुपए के करीब 700 थम्ब डिवाइस और आई स्केनर इक्यूपमेंट अब बेकार हो गये हैं। पिछले 8 सालों से बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगा रहे 10 हजार आउटसोर्स कर्मी इस नई सेल्फी प्रणाली में शामिल नहीं हैं। बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव का कहना है कि अनेक प्रयोग होने व डिवाइस व्यवस्था ठप्प होने से कर्मचारी खासे परेशान हैं। बिजली कंपनी या तो प्रयास प्रणाली जैसा प्रभावी सिस्टम बनाये या मैन्यूअल हाजिरी बरकरार रखे। जिन कर्मचारियों के पास एंड्रायड मोबाइल फोन नहीं है, उनके लिये थम्ब या आई डिवाइस व्यवस्था बहाल हो।
प्रयोगशाला बनी बिजली कंपनी के तीन प्रयोग बिजली कंपनी वर्ष 2014 से बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू हुई। वर्ष 2015 में इसे एडब्ल्यूजेडपीएसीटी प्रयास नामक प्रायवेट कंपनी को जिम्मा दिया, जो फरवरी 2021 तक सात वर्ष तक चला, पर अचानक ये सिस्टम ठप्प हो गया। प्रयास कंपनी ने पुराना डेटा व सम्पूर्ण सिस्टम भी बिजली कंपनी को नहीं थमाया, इससे रिकॉर्ड गड़बड़ा गया। नये सिस्टम में कर्मचारियों की पुरानी बकाया ईएल एवं मेडिकल लीव अपडेट होकर नहीं दिख रही हैं। इस कारण बिजली कंपनी में मार्च 2022 से मैन्यूअल हाजिरी जारी रही।
वहीं बिजली कंपनी में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मी फर्राश, स्वीपर, चपरासी, दफतरी, माली, सुरक्षा सैनिक व हेल्पर सहित अनेकों ऐसे कर्मी है, जिनके पास एंड्रायड मोबाइल नहीं हैं। वह पिछले 8 वर्षों से आई व थम्ब डिवाइस के जरिये अपनी अटेंडेंस कार्यालय में आकर लगाते रहे, पर यह सुविधा ठप्प होने से एवं बिजली कंपनी द्वारा 7 सितंबर 2022 को जारी आदेश से अब इन कर्मचारियों का वेतन अधर में अटकने की आशंका से वह परेशान हैं।
नई मोबाइल सेल्फी आधारित अटेंडेंस की अनूठी सुविधा से अब जिन कर्मचारी व अधिकारियों के घर कार्यालय के नजदीक है, वह घर बैठे ही फोन से अटेंडेंस लगा सकेंगें, जबकि नॉन एंड्रायड मोबाइल वाले कर्मचारी परेशान है। इस कारण गत सात सितम्बर 2022 को जारी आदेश अब तक पूर्णतः लागू नहीं हो सका है। प्रारम्भ में कई की प्रॉपर लोकेशन मैच नहीं हुई। आपात परिस्थिति में नियंत्रण अधिकारी को सुधार संबंधी पूर्व की तरह कोई अधिकार नहीं दिये गये हैं। जबकि पावर जनरेशन, पावर ट्रांसमिशन सहित पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी में अब भी मैन्यूअल हाजिरी सिस्टम लागू है।
बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव का कहना है कि अधिकांश बिजली इंजीनियर व कर्मचारी फील्ड वर्कर हैं, जब ऐसी प्रणाली अन्य बिजली कंपनी में नहीं तो मध्यक्षेत्र कंपनी में ही मोबाईल सेल्फी सिस्टम क्यों लागू है? जल्दबाजी की जगह व्यवस्थित सिस्टम अपनाया जाये, ताकि छोटे कर्मचारी परेशान नहीं हो।