Friday, January 24, 2025
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बिजली कंपनियों के मूल्य वृद्धि के प्रस्ताव पर किसानों को आपत्ति- अधिकारी कर रहे शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में भेदभाव

किसानों की ओर से किसानों के राष्ट्रीय संगठन भारत कृषक समाज द्वारा मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के विद्युत दरों में वृद्धि के प्रस्ताव के विरुद्ध मप्र विद्युत नियमाक आयोग भोपाल में आपत्ति दर्ज कराई गई है।

ईमेल से भेजी गई 15 बिंदुओं की आपत्ति मे भारत कृषक समाज महकौशल मप्र के अध्यक्ष इंजी. केके अग्रवाल द्वारा कहा गया है कि विद्युत कंपनी द्वारा प्रस्तावित मूल्य वृद्धि में कृषि पंप, कृषि कार्य, डेयरी, मवेशियों व गौशालाओं के पंप, घरेलू उद्योग, प्रोसेसिंग यूनिट आदि तथा ग्रामीण क्षेत्र के लिए विद्युत चार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार की ग्रामीण क्षेत्र के लिए उद्योग धंधों, कृषि तथा किसानों को प्रोत्साहित किये जाने तथा उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं की भावना के बिल्कुल विपरीत है, इससे उनकी लागत मे अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होगी।

विडंबना है कि आज भी उच्च गुणवत्ता की आवश्यकता अनुसार पर्याप्त विद्युत आपूर्ति के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र दोयम दर्जे का जीवन जीने मजबूर है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में भेदभाव और दोहरा मापदंड कब तक चलेगा, समझ के परे है। विडंबना है कि सरकार के कृषि कार्य हेतु 10 घंटे विद्युत प्रदाय के वायदे के विपरीत किसान की अभी भी 4-5 घंटे ही बिजली मिल पा रही है, वह भी अधिकांशत: रात में इससे उसका कृषि कार्य प्रभावित होता है।

केके अग्रवाल ने कहा कि समय पर बिगड़े ट्रांसफार्मर बदली न किये जाने, ओवरलोड, वोल्टेज व खंबो-लाइनों की मरम्मत तथा समय पर सुधार कार्य न होने, ट्रिपिंग आदि से विद्युत आपूर्ति मे आने वाली बाधाओं से आज भी ग्रामीणजन जूझ रहे हैं।

आयोग को कहा गया है कि विद्युत कंपनी पीछे के दरवाजे से अवैध वसूली कर अपना खजाना भरने के कुत्सित प्रयासों में कमी नहीं करती, फर्जी चोरी के प्रकरण बनाये जाते हैं। ना-ना प्रकार से किसानों को प्रताड़ित किया जाता है। अभी तो विद्युत कंपनी द्वारा हद ही पार कर दी गई, जब विगत सितम्बर माह में रातोंरात बिना जांच किये किसानों के कृषि पंपों के हॉर्सपावर बढ़ा कर बिल जारी कर दिये गये और किसानों से व सब्सिडी के नाम पर सरकार से करोड़ों की राशि अवैध तरीके से लूट के कारनामे को अंजाम दे दिया गया। विद्युत नियमाक आयोग से मांग की गई है कि इसकी उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराई जाए।

आपत्ति कहा गया है कि यदि विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझावों को नियामक आयोग गंभीरता से संज्ञान में ले तो विद्युत कंपनी को विद्युत दर बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आपत्ति में स्पष्ट अनुरोध किया गया है कि जब तक शहरी व ग्रामीण क्षेत्र को समानता से वांक्षित गुणवत्ता की, आवश्यकतानुसार पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराया जाना विद्युत कंपनी द्वारा सुनिश्चित नहीं कराया जाता, तब तक विद्युत कंपनी की विद्युत दरों में वृद्धि के प्रस्ताव को सिरे से ख़ारिज किया जाए।   

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