भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश देश की संगीत विरासत का वास्तविक प्रतिनिधि है और इस बात से युवा पीढ़ी को अवगत कराने और अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक कराने के उद्देश्य से प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग तथा संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा गायन, वादन एवं नृत्य को समर्पित ‘‘प्रणति’’ का आयोजन भोपाल में किया जा रहा है। 25 से 29 जून तक चलने वाले इस कार्यक्रम में गायन, वादन एवं नृत्य के ख्यातिलब्ध कला गुरुओं की प्रस्तुतियां होंगी।
मप्र संस्कृति विभाग के संचालक एनपी नामदेव ने सोमवार को बताया कि इस आयोजन में देश के ख्यातिलब्ध कला गुरु अपनी सुदीर्घ कला साधना को प्रस्तुत करेंगे। एक दशक में यह पहला अवसर होगा, जब एक मंच पर कई पद्म पुरस्कार प्राप्त कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। संस्कृति विभाग का यह प्रयास है कि भोपाल के सुधी जन कला गुरुओं की सुदीर्घ साधना से परिचित हो सकें और प्रदेश के सुरीले सांस्कृतिक वातावरण में एक नया सुर जोड़ा जा सके।
उन्होंने बताया कि भोपाल एवं मध्य प्रदेश के लिए यह विशिष्ट आयोजन होगा, जब एक मंच पर देश के जाने-माने कलाकारों की प्रस्तुति देखना अविस्मरणीय अनुभव होगा। यह आयोजन रवींद्र भवन स्थित अंजनी सभागार में प्रतिदिन सायं 6:30 बजे से होगा। उन्होंने बताया कि आयोजन में पहले दिन प्रख्यात सरोद वादक अमान-अयान अली बंगश, दिल्ली का सरोद वादन होगा। इसके बाद विनायक तोरवी, कर्नाटक का शास्त्रीय गायन होगा। अगली प्रस्तुति विश्वविख्यात सितार वादक नीलाद्रि कुमार, मुम्बई की सितार वादन की होगी। पहले दिन की अंतिम प्रस्तुति प्रेरणा श्रीमाली, जयपुर की कथक नृत्य की होगी।
26 जून को सुप्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी, लखनऊ का शास्त्रीय गायन होगा। इसके बाद जाने-माने कलाकार विश्वमोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट का मोहन वीणा/सात्विक वीणा वादन की सभा सजेगी। अंत में शुभदा वराडकर, मुम्बई का ओडिसी नृत्य होगा।
27 जून को पहली प्रस्तुति सुधा रघुनाथन, बेंगलुरु की शास्त्रीय गायन की होगी। इसके बाद रूपक कुलकर्णी, मुम्बई की बांसुरी वादन की सभा सजेगी। अंतिम प्रस्तुति दीप्ति ओमचारी भल्ला, दिल्ली की मोहिनीअट्टम की होगी।
28 जून को सबसे पहले पल्लकड रामप्रसाद, कर्नाटक का शास्त्रीय गायन होगा, इसके बाद एन. राजम एवं रागिनी शंकर, मुम्बई का युगल वायोलिन वादन होगा। अंत में अनुषा जे.वी. , हैदराबाद का कुचिपुड़ी नृत्य होगा।
प्रणति के अंतिम दिन 29 जून को मंजरी असनारे केलकर, नासिक के शास्त्रीय गायन से शाम की शुरुआत होगी। इसके बाद योगेश समसी, मुम्बई का तबला वादन होगा और अंत में रेवती रामचंद्रन, चेन्नई का भरतनाट्यम नृत्य होगा। प्रतिदिन प्रवेश नि:शुल्क होगा।