मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में नवकरणीय ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की निकासी के लिए मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा ग्रीन इनर्जी कॉरिडोर परियोजना में किए जा रहे पारेषण कार्यों के वित्त पोषण हेतु मेसर्स केएफडब्ल्यू जर्मनी से स्वीकृत ऋण राशि 124 मिलियन यूरो का संपूर्ण उपयोग करने की सहमति दी।
इसके अलावा मंत्रि-परिषद् द्वारा श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना (द्वितीय चरण), जिला खण्डवा 2X660 मेगावॉट की पुनरीक्षित लागत 7 हजार 738 करोड़ रूपये का अनुमोदन दिया गया। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि परियोजना लागत पुनरीक्षण के पूर्व के वित्त पोषण की व्यवस्था यथा 80 प्रतिशत राशि पीएफसी से ऋण के द्वारा तथा 20 प्रतिशत की राशि राज्य शासन की अंशपूँजी से, को समान अनुपात में पुनरीक्षित लागत हेतु जारी रखने का अनुमोदन किया।
वहीं मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी की 2X660 मेगावॉट क्षमता की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना (द्वितीय चरण) जिला खण्डवा की दोनों इकाइयों, इकाई क्रमांक 3 एवं 4 दवारा क्रमश: 18 नवम्बर 2018 एवं 28 मार्च 2019 से वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ किया गया है। इन इकाइयों की लागत वर्ष 2011 में 6 हजार 500 करोड़ रूपये आंकलित की गई थी। वर्तमान में विभिन्न कारणों यथा मूल्य संवर्धन, मुद्रा दर परिवर्तन, वस्तु एवं सेवा कर में हुई वृद्धि तथा संशोधित पर्यावरण मानकों के पालन में किए जाने वाले कार्यों के कारण परियोजना की लागत 6 हजार 500 करोड़ से बढ़कर अब 7 हजार 738 करोड़ रूपये हो गई है।
मंत्रि-परिषद् द्वारा रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम में वितरण कंपनियों की 24 हजार 170 करोड़ रूपये की कार्य-योजना को स्वीकृति प्रदान की गई। इसमें प्रदेश की तीनों विद्युत् वितरण कंपनियों द्वारा प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग एवं सिस्टम मीटरिंग के लिए 8 हजार 736 करोड़ रूपये, वितरण हानियों में कमी के लिए 9 हजार 265 करोड़ रूपये तथा वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण के लिए 5 हजार 909 करोड़ रूपये के कार्य किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त परियोजना की मॉनिटरिंग के लिए 260 करोड़ रूपये का प्रावधान भी कार्य-योजना में किया गया है।
वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण से संबंधित बुनियादी अधो-संरचना के निर्माण व विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 60 प्रतिशत राशि (लगभग 9 हजार 261 करोड़ रुपए) तथा प्रीपेड मीटर एवं सिस्टम मीटरिंग हेतु 15 प्रतिशत राशि (लगभग 1 हजार 462 करोड़ रुपए) अनुदान के रूप में विद्युत वितरण कंपनियों को प्रदान की जाएगी। शेष राशि राज्य शासन द्वारा ऋण के रूप में विद्युत वितरण कंपनियों को उपलब्ध कराई जाएगी।