इंदौर (हि.स.)। लोकसभा चुनाव में इंदौर संसदीय सीट से अपने प्रत्याशी के नाम वापस लेने के बाद कांग्रेस फिर हाई कोर्ट पहुंची है। इसमें कांग्रेस ने एकलपीठ के निर्णय को चुनौती दी है। कांग्रेस के वैकल्पिक प्रत्याशी मोती सिंह पटेल ने हाई कोर्ट में रिट अपील दायर करते हुए युगलपीठ के समक्ष एकलपीठ के निर्णय को चुनौती दी है। उनकी याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट में कांग्रेस नेता मोती सिंह की ओर से एडवोकेट विभोर खंडेलवाल ने पक्ष रखा। मामले में जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी ने सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि आपके 10 प्रस्तावकों के साइन कहां हैं। इसी वजह से फॉर्म रिजेक्ट हुआ। एडवोकेट खंडेलवाल ने कहा कि नेशनल पॉलिटिकल पार्टी के लिए केवल एक प्रस्तावक के साइन मान्य हैं। 10 प्रस्तावकों के साइन निर्दलीय उम्मीदवारों को चाहिए। निर्वाचन आयोग ने हमें सुनवाई का मौका भी नहीं दिया। इस पर निर्वाचन आयोग की ओर से जवाब दिया गया कि रिजेक्ट होने के बाद आवेदन पर आपत्ति भी नहीं ली गई। हाईकोर्ट ने फॉर्म बी को लेकर भी सवाल-जवाब किए। एडवोकेट खंडेलवाल ने कहा कि करीब सवा घंटे चली बहस के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
उल्लेखनीय है कि इंदौर हाईकोर्ट ने कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार मोतीसिंह पटेल की याचिका खारिज कर दी थी। कांग्रेस नेता मोती सिंह पटेल का कहना है कि एकलपीठ के आदेश को लेकर गुरुवार को युगलपीठ में याचिका दायर की है। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई की गई। इसमें अपीलकर्ता पटेल के साथ ही चुनाव आयोग का पक्ष भी सुना गया। कांग्रेस के फॉर्म बी में अक्षय कांति बम के साथ वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में मोतीसिंह पटेल का नाम दिया गया था। जांच के दौरान पटेल का नामांकन खारिज हो गया था। इसके बाद अक्षय बम ने भी अपना नाम वापस ले लिया था। अक्षय ने उसी दिन भाजपा का दामन थाम लिया था। कांग्रेस अब मोतीसिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती है।