मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का पदनाम परिवर्तित कर स्वास्थ्य समन्वयक करने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी, परंतु विभागीय अधिकारियों की हटधर्मिता और तानाशाही के चलते पदनाम परिवर्तन आज तक नहीं हुआ है। संघ ने कहा कि बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी हैं, जो समस्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को कोविड-19 कोरोना वायरस के साथ साथ समस्त शासकीय स्वास्थ्य योजनाओं अमली जामा पहनाते हैं। समस्त स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं उद्देश्यों की पूर्ति इनके कार्य से पूर्ण होती है।
संघ ने बताया कि टीकाकरण, टीबी, परिवार नियोजन, कुष्ठ, महिला एवं बाल स्वास्थ्य, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, अंधत्व, एड्स, फाईलेरिया जैसे समस्त राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन एएनएम व एमपीडब्ल्यू के द्वारा किया जाता है। परंतु इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों के बावजूद सम्मानजनक पदनाम न होने के कारण इनमें हजारों एएनएम व एमपीडब्ल्यू में असंतोष की भावना सदैव रहती है, जबकि अन्य विभागों के कर्मचारियों का शासन के द्वारा पदनाम परिवर्तन कर दिया गया है और वेतनमान विसंगति भी दूर की जा चुकी है, परंतु अधिकारियों की हठधर्मिता एवं तानाशाही के चलते मुख्यमंत्री की घोषणा का अमल आज तक नहीं किया गया है, जिससे कोरोना योद्धाओं को मानसिक एवं आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
संघ के अर्वेन्द्र राजपूत, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डेय, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, सीएन शुक्ला, वीरेन्द्र तिवारी, घनश्याम पटेल, अजय दुबे, परशुराम तिवारी, दिलराज झारिया, चूरामन गूजर, संदीप चौबे, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, निशांक तिवारी, नवीन यादव, अशोक मेहरा, सतीश देशमुख, रमेश काम्बले, पंकज जायसवाल, प्रीतोष तारे, शेरसिंह, मनोज सिंह, अभिषेक वर्मा, वीरेन्द्र पटेल, रामकृष्ण तिवारी, रितुराज गुप्ता, अमित गौतम, अनिल दुबे, शैलेन्द्र दुबे, अतुल पाण्डे आदि ने मुख्यमंत्री को ईमेल कर मांग की है कि बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का पदनाम स्वास्थ्य समन्वयक करने की घोषणा का शीघ्र अमल कराने का आदेश प्रसारित करें।