मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि जबलपुर के शिक्षा विभाग में यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि “अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा”। जबलपुर के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी का पुनः एक नया कारनामा देखने को मिला है, जिसमें उनके द्वारा 27 अप्रैल 2023 को अपने हस्ताक्षर से आदेश जारी कर दो परिवारों में रोशन बिखराते हुए परिवार के एक-एक सदस्य श्रीमती अंजनी तिवारी पति स्व. भास्कर तिवारी अध्यापक एवं श्रीमती निशा बबेले पति स्व. मनोज बबेले सहायक अध्यापक को प्राथमिक शिक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की गई।
परन्तु आश्रित परिवार की खुशियाँ एक माह भी नहीं रह सकीं, क्योंकि जबलपुर जिले के शिक्षा विभाग के मुखिया ने पुनः 15 मई 2023 को एक आदेश जारी कर उक्त अनुकम्पा नियुक्तियों को निरस्त कर उनके घर में पुनः अंधेरा दिया एवं कारण बताया गया कि शासन के सभी आदेश नियमित शासकीय सेवकों की मृत्यु पर उनके आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिए हैं, जबकि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा शासनादेशों की गलत व्याख्या करते हुए उक्त नियुक्तियाँ निरस्त की गई है। शासन एवं वरिष्ठ कार्यालय से जो भी आदेश जारी हुए हैं, उनमें हमेशा अध्यापक संवर्ग को भी अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पात्र माना गया है, यदि उक्त सदस्य अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं थे तो उनके आदेश क्यों जारी किये गये।
संघ के योगेन्द्र दुबे ने बताया कि प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी का यह पहला कारनामा नहीं है इसके पूर्व भी वे 2 अनुकम्पा नियुक्ति के आदेश जारी कर उनको निरस्त कर चुके हैं, जिनके परिवार भी न्यायालय की शरण में जाने को मजबूर हुए। संघ मांग करता है कि नियमों को न जानने वाले ऐसे प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को तत्काल निलंबित कर जबलपुर जिले के लिए पूर्णकालिक जिला शिक्षा अधिकारी की पदस्थापना की जाए, ताकि शिक्षा विभाग में अराजकता का माहौल खत्म हो सके।