मध्यप्रदेश का बिजली तंत्र इस समय भगवान भरोसे चल रहा है। सरकार और बिजली तंत्र ने कर्मचारियों को भी तीन वर्गों में बांट दिया है और निचले पायदान पर रखकर आउटसोर्स कर्मचारियों का अमानवीयता की सीमा तक शोषण किया जा रहा है।
बिजली आज के समय में लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल हो गई है, लेकिन आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे चल रहे बिजली तंत्र में न ही कर्मचारियों के लिए कोई सुरक्षात्मक उपाय हैं और न ही किसी नियम का पालन हो रहा है।
आउटसोर्स कर्मचारी संघ के सतीश साहू ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि प्रदेश के बिजली विभाग में प्रतिदिन कार्य के दौरान करंट से 2-4 कर्मचारियों की जान जा रही है। इसमें भी ज्यादातर मौत समुचित उपचार न मिलने पर हो रही है। मृतक परिवार को न ही कोई सहयोग राशि दी जा रही है और न ही आर्थिक सहायता की जा रही है।
सतीश साहू ने बताया कि हाल ही में छतरपुर जिले के खजुराहो डिवीजन के अंतर्गत बैरागढ़ वितरण केन्द्र में ऐसी ही एक ही दिन में 2 घटनाएं हुई है जिसमे विभाग के द्वारा लीपापोती की जा रहीं हैं। कार्य के दौरान करंट से झुलसने के आउटसोर्स कर्मचारी जीतू अहिरवार का पूरा शरीर जल गया है। आउटसोर्स कर्मचारी के इलाज के लिए कंपनी और ठेकेदार से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है।
वहीं एक अन्य घटना में एक लाईनमैन के द्वारा रखा गया कर्मचारी भी कार्य करते हुए करंट से झुलस गया था, जिसे विभाग का न कहकर लीपापोती कर दी गई। ऐसी ही घटनाएं पिछले कुछ दिनों के दौरान कटनी, बालाघाट व अन्य जिले में हुई है जिस कारण से आउटसोर्स कर्मचारियों और संगठनों में रोष व्याप्त हैं।