सभी जानते हैं की किसान के पास उपज रखने की पर्याप्त व्यवस्था नही होती, वह कटाई के बाद जहाँ उसे अपनी उपज बेचना होती है वहाँ ले जाकर डंप करता है। उसने अब भी वही किया। कड़ाके की ठंड में रातभर अपनी उपज की आसमान के नीचे सुरक्षा की जिम्मेदारी, स्लॉट बुकिंग और उसके लिए लम्बी प्रतीक्षा, जटिल प्रक्रिया और जद्दोजहद, उपज की सघन और अनेक बार जांच, बारदाना प्राप्त करने मारामारी फिर पल्लेदारो की व्यवस्था में घमासान, तुलाई, वेयर हाउस में माल अंदर कराने वेयर हाउस मालिक की झिड़कियां, दादागिरी से दो चार, परिवहन में देर और लापरवाही, आपरेटर से माल कम्प्यूटर पर चढ़वाने तथा पावती लेने में पसीना छुटा देने वाला साहस और किसी तरह केंद्र से मुक्ति पाने के बाद रिजेक्शन की लटकी तलवार की घबराहट लिए घर लौटते, इतनी लम्बी व अव्यवहारिक, मनमानी, उपार्जन प्रक्रिया से थके अन्नदाता की दशा व उसकी मनःस्थिति पर शायद ही किसी ने चिंतन किया हो, परवाह की हो।
आज उसकी साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया, बेमौसम बरसात ने उसकी उपज चौपट कर दी, उसके मुँह से निवाला छिनते देख वह दुखी है, उसे अपने परिवार के भरण पोषण की चिंता ने निढाल कर दिया है। इसके लिए जिम्मेदार कौन? शायद यह प्रश्न केवल प्रश्न ही रह जाएँ।
भारत कृषक समाज, महाकौशल मध्य प्रदेश के अध्यक्ष केके अग्रवाल ने कहा कि उपार्जन नीति और सिस्टम की खामियों के साथ प्रशासन की अनदेखी व लापरवाही का शिकार आखिर किसान हो ही गया। जिम्मेदारों को सरकार से सजा मिले या न मिले पर अन्नदाता की बद्दुआओं से वे बच नहीं पाएंगे। भुगतना तो उन्हें यहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन को पहले से मौसम विभाग की चेतावनी की जानकारी होने के बाद अनदेखी व लापरवाही का शिकार किसान हुए, आखिर वही हुआ जिसकी संभावना थी। आनन-फानन में दिए आदेश थोथे साबित हो रहे हैं।
केके अग्रवाल ने कहा कि सभी को मालूम है की तिरपाल तो केवल ऊपर से ढांका जा सकता है, पर खेत में लगे ढेर व बोरों में भरकर रखा माल जिसमें चारों तरफ पानी भर गया है, नीचे से अंदर पानी घुस गया है, उसे कैसे बचाया जायेगा। क्या कोई चमत्कारिक उपाय प्रशासन के पास है? उसे किसानों को बताया जाए। आखिर किसान कहाँ रखे, कहाँ ले जाये, कैसे ले जाए, कैसे बचाए खेतोँ मे रखी अपनी उपज? प्रशासन उपार्जन व्यवस्था संभालने मे पूर्णतः नाकाम और असफल साबित हुआ है। इसे सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।
किसान संगठन भारत कृषक समाज के केके अग्रवाल एवं सुभाष चंद्रा ने मुख्यमंत्री एवं कलेक्टर को ईमेल से भेजे गये पत्र में कहा है कि सरकार को किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी उठानी चाहिए तथा इस नुकसान के लिए जिम्मेदारों पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। साथ ही मांग की गई है की उपार्जन नीति तथा सिस्टम की खामियों को तुरंत दूर किया जाये, जिसमे वास्तविक मैदानी स्थितियों का अध्ययन कर, किसानों के प्रतिनिधियों के सुझावों को महत्व दिया जाकर, किसानों की भागीदारी और सहयोग से इसे व्यवहारिक और अधिक कारगर बनाया जाए।