देश की संस्कारधानी माने जाने वाले जबलपुर के साथ हमेशा ही सौतेला व्यवहार होता आया है, इतना ही नहीं सक्षम नेतृत्व का अभाव होने के कारण जबलपुर को बार-बार उपेक्षा का दंश झेलना पड़ता है। एक बार फिर जबलपुर से उसका हक छीना जा रहा है और शहर में स्थित एक सरकारी कार्यालय को अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन के जल संसाधन विभाग के आदेश क्रमांक 1145074 दिनांक 22 सितंबर के तहत अधीक्षण यंत्री के सर्वे एवं अनुसंधान मंडल कार्यालय जबलपुर को यहां कार्यरत अस्थाई अमले सहित केन बेतवा लिंक परियोजना जल संसाधन मंडल छतरपुर स्थानांतरित कर दिया गया है।
इससे समस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को जबलपुर से छतरपुर आने जाने में भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा। अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जिला संरक्षक योगेन्द्र दुबे ने बताया है कि पूर्व में पूर्व में जबलपुर मंडल कार्यालय द्वारा ही संभाग के समस्त कार्यालय का कार्य संपादित किया जाता था, आज भी मंडल कार्यालय जबलपुर द्वारा कार्य संपादित किया जा सकता हैं।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, संतोष मिश्रा के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम का एक मांग पत्र संभागीय आयुक्त जबलपुर के माध्यम से प्रेषित किया गया है, जिसमें मांग की गई है कि जबलपुर से स्थानांतरित किया जा रहे कार्यालय को जबलपुर में ही रखा जाए। यदि कार्यालय छतरपुर स्थानांतरित किया जाना आवश्यक होता है तो भी समस्त तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को जबलपुर शहर के कार्यालय में ही समाहित किया जाए। इन छोटे कर्मचारियों को अनावश्यक स्थानांतरित कर परेशान ना किया जाए।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, संतोष मिश्रा, नितिन सेलेट ,नरेश शुक्ला, विश्वदीप पटेरिया, इंद्र प्रताप यादव, प्रसांत सोंधिया, देव दोनेरिया, रविकांत दहायत, योगेस चौघरी, संध्या पाठक, अजय दुबे, योगेन्द्र मिश्रा, धीरेंद्र सिंह, मुकेश मरकाम, आशुतोष तिवारी, नरेंद्र सेन, रजनीश पांडेय, संदीप नेमा, गोविंद विल्थरे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जबलपुर से स्थानांतरित किया जा रहे कार्यालय को छतरपुर न भेजे जाने की मांग की है।