संविदा और आउटसोर्स विद्युत कर्मियों से करंट का कार्य कराने क्या कानून बदलेंगे या उर्जा मंत्री देंगे नियमित कर्मचारी का दर्जा

मध्य प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिये वर्तमान में प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंधन ने अपने जमीनी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्ती करना शुरू कर दी है। यहां तक विद्युत कंपनियों में कार्यरत संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से नियम विरुद्ध जाकर करंट का कार्य कराया जा रहा है, जबकि इन कर्मचारियों की नियुक्ति नियमित लाइनमैंनों के सहायक के रूप में की गई है।

मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि इन दिनों प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर बिजली आपूर्ति को लेकर सख्त रुख अख्तियार किये हुये हैं और औंचक निरीक्षण का विद्युत व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं। इस दौरान कहीं भी गड़बड़ी पाये जाने पर जमीनी अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिर रही है। लेकिन क्या वे ये नहीं जानते कि संविदा और आउटसोर्स कर्मी को नियमानुसार पोल पर चढ़कर करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं हैं।

हरेन्द्र श्रीवास्तव ने सवाल किया है कि क्या ऐसे में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से करंट का कार्य कराने के लिये कानूनों में बदलाव करेंगे या उन्हें नियमित कर्मचारी का दर्जा देंगे? ये बात तो विद्युत कंपनियों के प्रबंधनों को भी विदित है कि वर्ततान में नियमित लाइनमैनों की बहुत ज्यादा कमी हो चुकी है, जिस कारण मेंटेनेंस और उपभोक्ताओं की सेवा बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

उन्होंने कहा कि विद्युत तंत्र को सुचारू बनाये रखने और उपभोक्ताओं की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिये नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति करना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा आने वाले दिनों में बिजली व्यवस्था के धराशायी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। वहीं अगर यही स्थिति रही तो जमीनी अधिकारियों को भी पोल पर चढ़कर करंट का कार्य करना पड़ेगा।

हरेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि नियमित कर्मचारियों को वर्ष 1988 से प्रमोशन नहीं मिला है। वहीं आज भी हेल्परों से करंट का कार्य कराया जा रहा है। इसके बाद 2000 से नियमित भर्ती करना था, लेकिन कंपनी प्रबंधनों द्वारा आज तक नहीं की गई, जिससे स्थिति बिगड़ती चली गई। नियमित लाइनमैनों की बजाये हेल्परों, संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से करंट का कार्य कराने से बड़ी संख्या में इनकी मृत्यु हो चुकी है। वहीं मृत कर्मियों से नियम विरुद्ध कार्य कराये जाने से उनके परिजनों को मृत्यु के बाद नियमानुसार मिलने वाली अनुकंपा नियुक्ति से वंचित होना पड़ा है।

संघ के शशी उपाध्याय, राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, दिलीप केवट, विनय सिंह ठाकुर, टी डेविड, ख्यालीराम, रामशंकर, महेश पटेल, दशरथ शर्मां, मदन पटेल, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, सुरेंद्र मेश्राम, संजय वर्मां, लखन सिंह राजपूत, राजेश यादव आदि ने ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि तत्काल संविदा कर्मियों को नियमित किया जाये और आउटसोर्स कर्मियों का कंपनी में संविलयन किया जाये।