मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों के तकनीकी कर्मचारियों ने पिछले 46 वर्षों के दौरान कभी अपने परिवार के साथ दीवाली नहीं मनाई, इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन ने इस बार भी बोनस और एक्स्ट्रा वेजेस का भुगतान करने की बजाए ठेंगा दिखा दिया।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया है कि सन 1974 में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अपने अस्तित्व में आया है और कंपनीकरण की अवधि को मिलाकर आज 2020 की दीपावली तक 46 साल पूरे होने जा रहे हैं।
इस वर्षों के दौरान विद्युत तंत्र को चलायमान रखने वाले नियमित व संविदा कर्मियों तथा ठेका श्रमिकों की ट्रांसफार्मर के नीचे लगे डिस्ट्रिब्यूशन बॉक्स के पास ड्यूटी लगा दी जाती है।
विद्युत कर्मी बॉक्स में लगे तीनों फेस, जिससे उपभोक्ताओं के घर अथवा दुकान आदि में सप्लाई जाती है, उसमें बल्ब होल्डर टांग कर शाम 4 बजे से रात्रि 12 बजे तक ड्यूटी पर तैनात रहता है। अगर किसी भी डिस्ट्रिब्यूशन बॉक्स से सर्किट फ्यूज जाने पर तत्काल अंधेरे को उजाला में परिवर्तित कर देता है।
उन्होंने बताया कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन को कर्मचारी संघ के द्वारा पत्र लिख अवगत कराया गया था कि दीपावली के पूर्व नियमित कर्मचारियों को एक्स्ट्रा वेजेस और नाइट अलाउंस दिया जाये एवं संविदा कर्मचारियों को 3500 रुपए एक्स-ग्रेशिया दिया जाये। साथ ही ठेका श्रमिक को ठेकेदार से एक माह का वेतन दिलाया जाए।
जिससे वे हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मना सकें। मगर ऐसा नहीं किया गया। जमीनी अधिकारी पूरे साल नियमित कर्मचारियों से त्यौहार में नौकरी कराते हैं, मगर समय आने पर उनको त्योहारों पर मिलने वाला एक्स्ट्रा वेजेस नहीं दिलवा पाते। यह मानव अधिकारों का हनन है।
उन्होंने कहा कि यह तो उनका स्वयं का पैसा होता है। जबकि तकनीकी कर्मचारियों की अत्याधिक कमी होने के बाद भी विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने वाले तकनीकी कर्मचारियों के साथ ऐसा बर्ताव करना गलत है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, एसके मौर्या, रमेश रजक, केएन लोखंडे, जेके कोष्टा, अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, शशि उपाध्याय, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, संजय वर्मा, महेंद्र पटेल, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, गोपाल यादव, बीएल पटेल, आमीन अंसारी, रमेश नामदेव, पीएन मिश्रा, टी डेविड, वीरेंद्र विश्वकर्मा, हीरेंद्र रोहिताश आदि ने मांग की है कि विद्युत तंत्र को चलायमान रखने वाले तकनीकी नियमित व संविदा कर्मियों तथा ठेका श्रमिकों के साथ अन्याय ना किया जाए।