भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग का सर्वे शनिवार को 37वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के 22 अधिकारियों की टीम 37 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।
भोजशाला में शनिवार को सर्वे की गति में तेजी आई है। यहां एएसआई टीम ने ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) को लेकर अपना बुनियादी सर्वे शनिवार शाम तक पूरा कर लिया है। यहां किस तरह की मशीन आएगी और कहां-कहां सर्वे की आवश्यकता होगी, इसे लेकर मशीन व स्थान चिन्हित कर लिए गए हैं। वहीं, भोजशाला परिसर में शुक्रवार को जिस स्थान पर खंडित मूर्ति का हिस्सा मिला था, वहां शनिवार को भी खुदाई का जारी रहा।
भोजशाला मुख्य परिसर सहित अन्य स्थानों पर भी शनिवार को खुदाई की गई। मुख्य रूप से दक्षिण भाग में मिट्टी हटाई गई। वहीं गर्भगृह के नजदीक भी जिस क्षेत्र में खुदाई की जा रही है, वहां काम की गति और तेज कर दी गई है। यहां से खंडित प्रतिमा का एक हिस्सा मिला था। वहीं, भोजशाला के पास कमाल मौलाना की दरगाह परिसर में भी केमिकल विशेषज्ञ टीम ने सुबह से लेकर शाम तक काम किया। सफाई आदि का कार्य भी कर लिया गया। यहां पर जो शिलालेख हैं, उनको पढ़ने आदि को लेकर पूर्व में तैयारी की जा चुकी है।
सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि यहां गुरुवार को एक विशेष टीम पहुंच है। इस टीम ने जीपीआर से सर्वे करने के पहले की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। इस टीम ने गुरुवार सुबह से लेकर शनिवार शाम तक न केवल भोजशाला बल्कि 50 मीटर के दायरे में सर्चिंग कार्य किया है। इस सर्वे के तहत स्थान चिह्नित किए गए हैं। कहां-कहां पर किस मशीन के माध्यम से सर्वे करना है, यह तय किया गया है। आगामी सप्ताह में ये मशीनें यहां पहुंच सकती हैं। दरअसल, उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने जीपीआर सर्वे करने को आदेश दिया है। इसलिए एएसआई को इस बारे में जीएसआई व उसकी टीम की मदद लेनी होगी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण यानी जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के माध्यम से ही यह सर्वे कार्य किया जाता है। इस संस्थान का संचालन खनिज मंत्रालय के माध्यम से किया जाता है। इसका मुख्यालय कोलकाता में है, जबकि मध्य प्रदेश से नजदीक क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर और नागपुर में है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन तीन क्षेत्रीय कार्यालय से ही विशेषज्ञों की टीम धार आ सकती है। साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय से ही मशीनें भी आएंगी। इस विभाग का कार्य जमीन व पानी की गहराई में पाए जाने वाले खनिजों को पता लगाना होता है। यही उपकरण जमीन के भीतर धरोहर सहित अन्य संरचनाओं का पता लगाने में उपयोग होंगे।