मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों को निजी हाथों में सौंपे जाने की खबर के बाद कर्मचारी संगठनों का विरोध तीव्र हो गया है।
मप्र विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ द्वारा शीघ्र मप्र राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती कंपनियों के निजीकरण के लिए जारी बिडिंग डॉक्युमेंट का संपूर्ण मध्य प्रदेश में तीव्र विरोध करेगा।
पूर्व में भी कर्मचारी संघ ने निजीकरण का विरोध किया गया था। संपूर्ण मध्य प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को चलाएमान रखने वाले तकनीकी कर्मचारी निजीकरण के विरोध में आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। चाहे किसी भी स्थिति तक जाना पड़े।
तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा है कि फिलहाल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अवगत कराया जाएगा। पिछले 40 वर्षों से लगातार अधिकारियों और कर्मचारियों ने कार्य करते हुए विद्युत मंडल की कम्पनी को शिखर तक पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि इसे हम टाटा,अंबानी, अडानी को खरीदने नहीं देंगे। मध्य प्रदेश शासन और कम्पनी प्रबंधनों को संघ द्वारा पेंशन फंड बनाने को लेकर अनेक पत्र लिखे हैं, लेकिन आजतक कोई कार्यवाही नहीं की गई।
उन्होंने प्रदेश सरकार से पूछा है कि कर्मचारी व अधिकारी को 30 वर्ष विद्युत मंडल में कार्य करने के बाद उनका जमा हुआ पैसा जैसे ग्रेच्युटी, जीटीआईएस, पेंशन, छुट्टी सरेंडर आदि का पैसा देगा कौन देगा।
कर्मचारी संघ के केएन लोखंडे, रमेश रजक, जेके कोष्टा, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, महेश पटेल, शशि उपाध्याय, टी डेविड, पी के मिश्रा, प्रेम लाल पटेल, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, महेंद्र पटेल, संजय वर्मा, अमीन अंसारी आदि ने केंद्र एवं मध्य प्रदेश शासन से मांग की है कि निजीकरण तत्काल वापिस लें।