बिजली आउटसोर्स कर्मी दिन-रात, ठंड, गर्मी और बरसात में ब्रेकडाउन, शटडाउन एवं राजस्व वसूली आदि कार्य करके विद्युत कंपनी को शिखर में पहुंचाने में लगा हुआ है, मगर आउटसोर्स कर्मी एवं उसके परिवार के जीवन को कैसे सुरक्षित एवं अभावमुक्त रखा जाए, इसके लिए आज तक न मध्य प्रदेश शासन और न बिजली कंपनियों के प्रबंधन के द्वारा कोई नीति बनाई गई।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कंपनियों में लगातार कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने से संपूर्ण मध्य प्रदेश की विद्युत व्यवस्था लड़खड़ा रही है, क्योंकि में मैनपावर की अत्याधिक कमी हो गई है।
वर्तमान में प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों 50000 से अधिक आउटसोर्स के कर्मी पिछले 15 वर्षों से नियमित कर्मचारियों के विरुद्ध करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कर रहे हैं, इसलिए नई भर्ती करने की बजाए इन सभी आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन करते हुए नियमितीकरण करना चाहिए। सभी बिजली कंपनियों में 50000 से ज्यादा पद रिक्त होने के बाद भी मध्य प्रदेश शासन के द्वारा बिजली कंपनियों में केवल 4300 सभी कैडर के रिक्त पद भर्ती के लिए निकाले गए हैं जो कि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि मध्य प्रदेश शासन एवं बिजली कंपनियों के प्रबंधन को सब पता होने के बाद भी उपभोक्ताओं के प्रति ना संवेदनशील है ना गंभीर हैं, क्योंकि बड़े-बड़े अधिकारियों को कुर्सी में बैठकर बस आदेश देना होता है। आउटसोर्स कर्मी लाइनमैन के पद पर न होकर भी अपनी पूरी जिम्मेदारी से उपभोक्ता सेवा में लगा हुआ है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के द्वारा 12 सितंबर 2024 को एक आदेश पारित किया गया है कि ऐसे पद जिसमें अल्प अवधि का कार्य नहीं है, सतत निरंतर चलने वाला बारहमासी रात दिन किया जाने वाला कार्य है और जो की अतिआवश्यक सेवाओं में आने के साथ-साथ अति संवेदनशील है ऐसे पदों पर नियमित भर्ती होना चाहिए। मगर बिजली कंपनियों के प्रबंधन के द्वारा आउटसोर्स में भर्ती कर जोखिमपूर्ण कार्य कराए जा रहे हैं। संघ के द्वारा अनेक पत्र लिखे गए हैं, मगर ये समझ से परे है कि अतिआवश्यक बिजली उद्योग को किस ओर ले जाया जा रहा है।
संघ के मोहन दुबे, अजय कश्यप, राजकुमार सैनी, इंद्रपाल सिंह, राहुल दुबे, संदीप दीपांकर, विपतलाल विश्वकर्मा, विनोद दास, अरुण मालवीय, जगदीश मेहरा, अमित मेहरा, संदीप यादव, किशोर बांदेकर, पवन यादव, पीएम मिश्रा, अमीन अंसारी आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर मांग की गई है कि बिजली कंपनियों में कार्यरत 50000 आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन करते हुए उन्हें नियमित किया जाए एवं ठेकेदारी प्रथा को समाप्त किया जाए।