मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को निजी अस्पतालों में सरकारी खर्चे पर इलाज की सुविधा नहीं होने के कारण, सभी कर्मचारी अपने पैसों से गंभीर बीमारियों ओपन हार्ट सर्जरी, कैंसर, लकवा, कोविड का इलाज करा रहे हैं। वहीं चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयकों का भुगतान नहीं होने के कारण अपना इलाज लाखों रुपये का कर्ज लेकर करा रहे हैं। इलाज के उपरांत यह कर्मचारी इलाज के दौरान खर्च हुई राशि के देयक विभाग को भुगतान हेतु प्रस्तुत करते हैं।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर की लापरवाही, उदासीनता के चलते प्राथमिक विभाग में कार्यरत दर्जनों शिक्षकों एवं अध्यापकों के लाखों रुपये के चिकित्सा प्रतिपूर्ति के देयक विगत तीन साल से कार्यालय में धूल खा रहे हैं, शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की लापरवाही के चलते देयकों का भुगतान नहीं पा रहा है। लगभग आधा सैंकडा शिक्षक एवं अध्यापक के चिकित्सा प्रतिपूर्ति के देयक लंबित हैं, जिनमें से चुनिन्दा शिक्षकों के ही देयकों का भुगतान हुआ है, जो भ्रष्टाचार का संदेह उत्पन्न करता हैं?
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, संजय यादव, गोविन्द विल्थरे, आरके परोहा, आलोक अग्निहोत्री, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी वाथरे, बृजेश मिश्रा, मनोज सिंह, चूरामन गुर्जर, एसके बांदिल, रजनीश तिवारी, पवन श्रीवास्तव, एसके त्रिपाठी, सुधीर पण्डया, चंदु जाउलकर, उमेश पारखी, विट्टू आहलूवालिया, शंकर भाई, अंकुर प्रताप सिंह, शुक्ला आदि ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ईमेल भेजकर मांग की है कि शिक्षकों एवं अध्यापकों के लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति के देयकों का शीघ्र भुगतान कराते हुए भुगतान हो रहे विलंब के लिए प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पर कार्यवाही की जाए।