एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के तत्वावधान में आर्ट ऑफ लिविंग जबलपुर चेप्टर द्वारा आज शक्तिभवन के केन्द्रीय ग्रंथालय में ‘मेडिटेशन एन्ड मेंटल हेल्थ’ पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के संयुक्त सचिव अमन लुम्बा ने कहा कि ध्यान क्रिया नहीं बल्कि परिणाम है। ध्यान को लाया नहीं जा सकता है, यह सहज भाव से आता है।
उन्होंने ध्यान की तुलना नींद से करते हुए कहा कि सोने से पूर्व सभी लोग तैयारी कर के सोने जाते हैं और नींद स्वयं से आ जाती है। वैसे ही पूर्व तैयारी कर के ‘ध्यान’ हमारे मन व शरीर में आता है। आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजन की शृंखला में केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय और आर्ट ऑफ लिविंग के संयुक्त तत्वावधान में ‘हर घर ध्यान’ के परिप्रेक्ष्य में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सभी विद्युत कंपनियों के कार्मिकों ने प्रतिभागी बन कर मानसिक स्वास्थ्य, इसकी समस्या व निदान की जानकारी प्राप्त की।
वक्ता अमन लुम्बा ने कहा कि मनुष्य भूतकाल के तनाव और भविष्य की चिंताओं में उलझा हुआ है। जरूरी है कि हम वर्तमान के ठहराव को समझें। उन्होंने कहा कि मनुष्य की क्रियाओं से जीवन की श्वांस चलती हैं और इसके लिए ठहराव आवश्यक है। अमन लुम्बा ने प्रोजेक्टर में स्लाइड के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के निदान के लिए ‘क्या हो सकता है’ को सरल तरीके से समझाया।
अमन लुम्बा ने ‘निर्देश ध्यान’ के संबंध में कहा कि ध्यान का अर्थ एकाग्रता नहीं अपितु विश्राम करना है। इसके निरंतर अभ्यास से समाधि या श्रेष्ठता की परम अवस्था प्राप्त होती है। बहुत से लोग ध्यान करने की प्रक्रिया सीखना चाहते हैं, वह कुछ ऐसा चाहते हैं जो सहज भी हो और सुखद भी। निर्देशित ध्यान एक आदर्श द्वार है। वास्तव में, जब ध्यान गुरु के दिशा निर्देश पर किया जाता है, तब वह पूर्णरूप से सहज हो जाता है।
दैनिक जीवन में हम अक्सर खुद को अपने शरीर और भौतिक दुनिया से पहचानते हैं। निर्देशित ध्यान हमें भौतिक स्तर से परे आत्मा के स्तर पर ले जाता है। ध्यान के नियमित अभ्यास से न केवल ध्यान करने वाले का जीवन परिवर्तित होता है, परन्तु उसके आसपास के वातावरण में भी परिवर्तन हो जाता है। कार्यशाला के समापन के पूर्व अमन लुम्बा के निर्देशन में प्रतिभागियों ने ध्यान किया।