Saturday, December 28, 2024
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मोहन कैबिनेट ने दी मध्यप्रदेश एलाईड एण्ड हेल्थ केयर काउंसिल के गठन की स्वीकृति

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंत्रालय में हुई। मंत्रि-परिषद ने मन्दसौर, राजगढ़, सीधी, सिवनी और बालाघाट, जिले की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिये 10,373 करोड़ रुपये से अधिक की स्वीकृति दी। मंत्रि-परिषद ने मंदसौर जिले में 60 करोड़ 3 लाख रुपये लागत की ताखाजी सूक्ष्म दबाव सिंचाई परियोजना (सैंच्य क्षेत्र 3550.53 हेक्टेयर) की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी। इसी प्रकार राजगढ़ जिले की मोहनपुरा वृहद सिंचाई परियोजना लागत 4666 करोड़ 66 लाख रुपये, (सैंच्य क्षेत्र 1,51,495 हेक्टेयर) की द्वितीय पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी।

मंत्रि-परिषद द्वारा सीधी जिले में 4167 करोड़ 93 लाख रुपये लागत की सीतापुर हनुमना माइक्रो सिंचाई परियोजना (सैंच्य क्षेत्र 1,20,000 हेक्टेयर) की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करते हुए इस परियोजना की स्वीकृति के क्रम में प्रशासकीय स्वीकृति एवं निविदा के लिये निर्धारित सूचकांक के बंधन से छूट दी गई। परियोजना से रीवा, मऊगंज, सीधी, एवं सिंगरौली जिले के 663 ग्रामों को सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।

मंत्रि-परिषद ने सिवनी एवं बालाघाट जिले की संजय सरोवर परियोजना (अपर वैनगंगा) के नहरों की विस्तारीकरण, नवीनीकरण और आधुनिकीकरण (ईआरएम) के कार्य के लिये 332 करोड़ 54 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी। ईआरएम के कार्य पूरा होने पर 11 हजार 450 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।

मंत्रि-परिषद ने बाणसागर बहुउद्देशीय परियोजना अंतर्गत बहुती नहर को भारत सरकार की Modernization of command area development work (MCAD) अंतर्गत लागत 1146 करोड़ 34 लाख रुपये के अंतर्गत माइक्रो सिंचाई परियोजना में परिवर्तित करने की सैद्धांतिक अनुमति दी है।

राज्य के विभिन्न शहरों में वायुसेवा संचालन के लिये अनुमोदन

मंत्रि-परिषद ने पर्यटन विभाग द्वारा प्रदेश में सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के तहत निजी ऑपरेटर के सहयोग से राज्य के विभिन्न शहरों में वायुसेवा संचालन किये जाने के लिये प्रस्ताव का अनुमोदन दिया।

पीएम ई-बस योजनांतर्गत 6 नगरीय निकायों के लिये 552 ई-बस

मंत्रि-परिषद द्वारा शहरों में सिटी बस सेवाओं के बुनियादी ढांचे के विस्तार और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना के प्रदेश में संचालन का अनुमोदन किया। पीएम ई-बस योजना के अंतर्गतप्रदेश के 6 नगरीय निकायों (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन एवं सागर) में 552 शहरी ई-बसों का पीपीपी मॉडल के आधार पर संचालन किया जायेगा। योजना में Payment Security Mechanism (PSM) के लिए स्वीकृति के साथ State Level Steering Committee (SLSC) को योजना के लिये स्वीकृतियां, क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिये अधिकृत किया गया है।

मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना के लिये 1100 करोड़ रुपये स्वीकृत

मंत्रि-परिषद द्वारा 800 करोड़ रुपये लागत से स्वीकृत “मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना” का विस्तार करते हुए, योजना लागत को बढ़ाकर 1100 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है। योजना की स्वीकृत अवधि को 2 वर्ष (2022-23 से 2023-24) से बढ़ाकर, 3 वर्ष (2024-25 तक) किया गया है। योजना अंतर्गत नगरीय निकायों में विभिन्न अधोसरंचना विकास के कार्यों को स्वीकृति दी जायेगी।

मध्यप्रदेश एलाईड एण्ड हेल्थ केयर काउंसिल के गठन की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद ने नेशनल कमीशन फॉर एलाईड एण्ड हेल्थ केयर प्रोफेशन एक्ट 2021 के प्रावधानों के अंतर्गत मध्यप्रदेश एलाईड एण्ड हेल्थ केयर काउंसिल का गठन करने की स्वीकृति दी है। निर्णय के अंतर्गत मध्यप्रदेश सह चिकित्सीय परिषद अधिनियम 2000 को निरस्त करते हुए उसके अधीन क्रियाशील मध्यप्रदेश सह चिकित्सीय परिषद का भी विघटन किया गया है। मध्यप्रदेश सह-चिकित्सीय परिषद की परिसंपत्तियो, कार्यरत अमला, दायित्वों आदि का हस्तांतरण मध्यप्रदेश एलाईड एण्ड हेल्थ केयर काउंसिल में करने की स्वीकृति दी गई है।

अन्य निर्णय

मंत्रि-परिषद द्वारा ‘स्टार्टअप एवं इन्क्यूबेशन” के सबंध में किये जा रहे कार्यों का समावेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के अंतर्गत करने के लिये मध्यप्रदेश कार्य (आवंटन) नियम में संशोधन की स्वीकृति दी गई है।

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश की प्रशासनिक इकाईयों के पुर्नगठन के लिए ‘मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग’ गठित करने की स्वीकृति दी है। मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन, आयोग की टर्म्स ऑफ रिफरेंस, आयोग का स्वरूप, वेतन/भत्ते, प्रशासनिक संरचना तथा वित्तीय प्रस्ताव की स्वीकृति दी गयी।

मंत्रि-परिषद द्वारा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में अनुदान प्राप्त अशासकीय संस्थाओं के शिक्षकों और कर्मचारियों को एक जनवरी, 2006 से छटवें वेतनमान का लाभ देने की स्वीकृति दी गई।

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