मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि मध्य प्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा द्वारा कर्मचारी हितों की मांगों को लेकर तीन चरणों में आंदोलन करने जा रहा है। जिसकी विधिवत सूचना प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दी गई है, परन्तु इस दमनकारी एवं कर्मचारी विरोधी सरकार द्वारा 22 जुलाई 2021 को प्रदेश के समस्त कलेक्टर को पत्र जारी कर उक्त आंदोलन को नियम विरूद्ध बताते हुए कोरोना वायरस के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश जारी किये गये है।
प्रशासन की रीड की हड्डी कहे जाने वाले अधिकारी एवं कर्मचारियों को जहाँ एक ओर इस सरकार द्वारा दो वर्षों से नियमित वेतन वृद्धि एवं महंगाई भत्ते का लाभ नहीं दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की वेतन विसंगती एवं अन्य मांगों पर भी कोई विचार नहीं किया जा रहा है। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों मे रोष व्याप्त है।
संघ का कहना है कि प्रदेश के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी दो वर्षों से जस का तस वेतन पा रहे हैं और अपनी मांगों के लिए आंदोलन करें तो वह नियम विरूद्ध किन्तु यदि राजनीतिक पार्टियाँ बडी मात्रा में भीड़ इक्कठी कर आंदोलन, धरना प्रदर्शन, सभायें आदि करें तो उसमें कोई कोरोना गाइडलाइन एवं नियमों का उल्लंघन नहीं होता।
सरकार द्वारा कर्मचारियों के आंदोलन को दबाने के लिए कोरोना गाईड लाईन का हवाला दिया जा रहा है, जबकि जिले, प्रदेश एवं देश में सभी राजनीतिक दल के विधायक, सांसद एवं मंत्री कोरोना गाइडलाइन की धज्जिया उड़ाते, बिना अनुमति कार्यक्रमों का आयोजन कर कोरोना गाइडलाइन को ठेंगा दिखा रहे है।कोरोना गाइडलाइन को लेकर यह दोहरा मापदण्ड क्यों? इस दोहरी मानसिकता वाली सरकार का उक्त आदेश ही नियम विरूद्ध, कर्मचारी विरूद्ध, द्वेषपूर्ण है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अरवेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, नरेन्द्र दुबे, मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, दुगेश पाण्डेय, मुन्नालाल पटेल, गोविन्द बिल्थरे, चन्दु जाउलकर, विपिन शर्मा, वीरेन्द्र तिवारी, घनश्याम पटेल, अजय दुबे, शकील खान, विपिन शर्मा, सुधीर पण्डया, उमेश पारखी, राकेश राव, सतेन्द्र ठाकुर, आर.के. गोलाटी, अरूण दुबे, अंकुर प्रताप सिह, के.के. तिवारी, वीके तिवारी, आकाश तिवारी, जितेन्द्र त्रिपाठी, अमित शर्मा आदि ने मुख्यमंत्री एवं सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को ईमेल भेजकर उक्त दोहरी मानसिकता एवं कर्मचारी विरूद्ध आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की गई है।