मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम के बैनर तले आज 26 अप्रैल को बिजली संविदा कर्मियों के द्वारा थाली, घंटी बजाकर भजन कीर्तन के माध्यम से चिनार पार्क भोपाल में अपनी मांग पूरी करवाने के संबंध में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए बिजली संविदा कर्मियों की उपस्थिति रही।
विरोध प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ता मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम के प्रांतीय संयोजक इंजी. व्हीकेएस परिहार ने बताया कि संविदा कर्मी निरंतर संविदा नीति 2018 में संशोधन की मांग कर रहे हैं, जिस पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री के द्वारा प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे को फोरम के साथ बैठक कर उक्त मांगे निराकृत करने हेतु पत्र प्रेषित किया है, जिसके पश्चात भी आज तक फोरम के साथ संविदा नीति 2018 में संशोधन हेतु कोई बैठक अथवा वार्ता नहीं हुई है। जिस कारण संविदा कर्मियों में रोष व्याप्त है, जिस तारतम्य में संविदा कर्मी आज चिनार पार्क भोपाल में अपनी मांगों के संबंध में एकत्रित हुए हैं।
प्रांतीय मीडिया प्रभारी लोकेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यदि हमारी मांगों का शीघ्र निराकरण नहीं किया गया तो अगले महीने बिजली संविदा कर्मी कार्य बहिष्कार हेतु बाध्य होंगे जिसकी संपूर्ण जवाबदारी प्रबंधन एवं प्रशासन की होगी।
प्रमुख मांग
1. संविदा अनुबंध को निरंतर 60 वर्ष तक किया जाए, 3 दिन का अंतर खत्म किया जाए।
2. कंपनी टू कंपनी गृह जिला ट्रांसफर नीति बनाई जाए।
3. संविदा कर्मचारी का निष्कासन नियमित कर्मचारी के समान किया जाए।
4. संविदा कर्मचारी को वार्षिक वेतन वृद्धि 3% किया जाए वर्तमान में संविदा को 1% वार्षिक वेतन वृद्धि दिया।
5. विद्युत संविदा कर्मचारियों का महंगाई भत्ता साल में दो बार दिया जाए, वर्तमान में वर्ष में केवल एक बार देय होता है।
6. चिकित्सा पूर्ति ,दुर्घटना बीमा, अनुकंपा नियुक्ति दी जाए एवं जोखिम भत्ता, नेशनल हॉलिडे, रात्रि कालीन अलाउंस दिए जाएं।
7. संविदा कर्मचारी का दुर्घटना अथवा मृत्यु उपरांत 4 लाख तक बीमा राशि दी जाती है, जिसे बढ़ाकर ₹50 लाख किया जाए।
8. परीक्षण सहायक 2013 बेच की भर्ती विसंगति दूर कर उन्हें नियमित किया जाए।
9. संविदा पॉलिसी 2018 लागू होने के बाद पूर्व, पश्चिम क्षेत्र एवं ट्रांसको कंपनी में NPS कटना बंद हो गया है पूर्व की भांति एनपीएस चालू किया जाए।
10. संविदा कर्मचारी को वर्तमान वेतन का वास्तविक 90% दिया जाए।
11. लाइन अटेंडेंट कर्मचारियों को आईटीआई पास होने के बाद भी चतुर्थ श्रेणी में रखा गया है, उन्हें तृतीय श्रेणी में किया जाए।