मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि कर्मचारियों को गृह भाड़ा भत्ता का भुगतान नहीं होने से आर्थिक नुकसान हो रहा है एवं शासन वर्षों से कर्मचारियों की इस मांग को नजरअंदाज कर रहा है। कर्मचारियों को आज भी छटवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता मिल रहा है, जो लगभग प्रतिमाह लगभग 1000 से 2000 तक ही है, जिससे आज के समय में कहीं पर भी इस दर पर शहरी क्षेत्र में घर किराये से मिलना असंभव है।
राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों को 7वां वेतनमान 1 जनवरी 2016 से देना शुरू किया है, परंतु गृह भाड़ा भत्ता छटवें वेतनमान के अनुसार ही मिल रहा है। 7वां वेतनमान लागू होने के लगभग 5 से 6 वर्षों के बाद भी कर्मचारियों के गृह भाड़ा भत्ता में वृद्धि नहीं की गई है, जिससे समस्त कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, मनीष लोहिया, शैलेन्द्र दुबे, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, सीएन शुक्ला, वीरेन्द्र तिवारी, श्यामनारायण तिवारी, घनश्याम पटेल, अजय दुबे, चूरामन गूजर, संदीप चौबे, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, निशांक तिवारी, नवीन यादव, अशोक मेहरा, सतीश देशमुख, रमेश काम्बले, पंकज जायसवाल, प्रीतोष तारे, शेरसिंह, अभिषेक वर्मा, वीरेन्द्र पटेल, रामकृष्ण तिवारी, रितुराज गुप्ता, अमित गौतम, अनिल दुबे, अतुल पाण्डे आदि ने मुख्यमंत्री को ईमेल कर मांग की है कि राज्य के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता प्रदान किया जाये।