मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि विश्वव्यापी आपदा कोरोना वायरस से लड़ने में स्वास्थ्य विभाग का अमला डॉक्टर, बीडीएस लैब टेक्नीशियन, लैब अस्सिटेंट, स्टाफ, नर्स एएनएम के साथ-साथ आशा एवं ऊषा कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
किन्तु आशा एवं ऊषा कार्यकर्ता को अल्प मानदेय 2000 रुपये प्रतिमाह में इस भीषण मंहगाई में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जीवन यापन हेतु विवश होना पड़ रहा है। आशा एवं ऊषा कार्यकर्ता द्वारा शासन से लगातार अपना मानदेय बढाने की मांग की जा रही है। किन्तु शासन उनकी मांगों को अनदेखा कर रहा है, स्वास्थ्य विभाग में आर्थिक तंगी से गुजर रहे उक्त आशा एवं ऊषा कार्यकर्ता तनाव ग्रस्त हैं, शासन आशा एवं ऊषा कार्यकर्ताओं का शोषण बंद करें।
श्रम कानूनों के तहत आशा कार्यकर्ता एवं ऊषा कार्यकर्ता को भी शामिल किये जाने तथा उन्हें नियमित कर्मचारी की श्रेणी में नामित करने व सामाजिक सुरक्षा, पेंशन आदि का लाभ प्रदान कराये जाने की संगठन विगत कई वर्षों से मांग करता आ रहा है। वर्तमान में इन्हें कोरोना टीकाकरण कार्य का मानदेय 1 मई 21 से दिये जाने के आदेश किये गये है, जबकि इनके द्वारा द्वारा टीकाकरण प्रारंभ तिथि से ही अपनी सेवायें टीकाकरण कार्य में दी जा रही हैं।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, नरेन्द्र दुबे, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, आशुतोष तिवारी, दुर्गेश पाण्डे, मुन्ना लाल पटैल, बृजेश मिश्रा, दीपक राठौर, अनुराग चन्द्रा, तरूण पंचौली, मनीष चौबे, श्यामनारायण तिवारी, प्रणव साहू, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, प्रियांशु शुक्ला, संतोष तिवारी, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक आदि ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव मप्र शासन को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की गई है कि श्रम कानूनों के तहत आशा एवं ऊषा कार्यकर्ताओं को भी शामिल किये जाने तथा उन्हें नियमित कर्मचारी की श्रेणी में नामित करने व सामाजिक सुरक्षा, पेंशन आदि का लाभ प्रदान किया जाये तथा टीकाकरण प्रारंभ होने की तिथि से टीकाकरण मानदेय दिया जाये।