Wednesday, January 8, 2025
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एमपी हाईकोर्ट ने जहरीला कचरा जलाने के लिए सरकार को दिया 6 सप्ताह का समय, अगली सुनवाई 18 फरवरी को

जबलपुर (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के जहरीले कचरे के निस्तारण के लिए प्रदेश शासन को छह सप्ताह का समय दिया है। यह व्यवस्था सरकार की ओर से की गई मांग को स्वीकार करते हुए दी गई। इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को निर्धारित कर दी गई।

दरअसल, यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगल पीठ के सामने सरकार ने कहा कि मिस लीडिंग करने से यह स्थिति बनी और हालात बिगड़े हैं। अदालत में प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि 03 दिसंबर को हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार हफ्ते की समय-सीमा तय की थी। सरकार को चेतावनी भी दी थी कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। इसलिए हमें छह सप्ताह का समय दिया जाए। इस तर्क को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख 18 फरवरी दी है।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत कर पूर्व आदेश का पालन सुनिश्चित किए जाने की जानकारी दी गई। बताया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में एक जनवरी, 2025 को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर कचरा भोपाल से पीथमपुर भेजा जा चुका है। इस प्रक्रिया में फायर ब्रिगेड, डाक्टरों व विशेषज्ञों की टीम सहित अन्य सभी सुरक्षा के सभी मानदंडों का पूर्ण पालन किया गया था। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने राज्य सरकार के शपथपत्र को अभिलेख पर ले लिया। साथ ही राज्य शासन को निर्देश दे दिया कि वह सुरक्षा के सभी उपाय अपनाते हुए तीन दिसंबर को पारित आदेश के पूर्ण पालन की दिशा में गंभीरता बरतते हुए आगे की प्रक्रिया को गति दें।

सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने भोपाल से पीथमपुर तक परिवहन करके लाए गए कचरा कंटेनरों को निरस्तारित करने की अनुमति दिए जाने का निवेदन किया। इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि जब कचरे का भोपाल से पीथमपुर तक सुरक्षित तरीके से कंटेनरों में परिवहन हो ही गया है तो फिर उसके पीथमपुर में वैज्ञानिक प्रविधि से निस्तारण के लिए अलग से अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं है। सरकार छह सप्ताह की मोहलत का सदुपयोग करे और आगामी सुनवाई तिथि 18 फरवरी को पालन प्रतिवेदन कोर्ट के पटल पर रखें।

महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने दलील दी कि मीडिया की कचरा निस्तारण से एक और त्रासदी न हो जाए जैसी फेंक रिपोर्ट के कारण पीथमपुर में जनाक्रोश भड़का है, जिसके कारण प्रदर्शन प्रारंभ हो गए। यहां तक कि पुलिस पर पथराव तक हो गया। इसीलिए पीथमपुर की स्थानीय जनता का विश्वास जीतने समय अपेक्षित है। अदालत ने इसी आधार पर छह सप्ताह का समय दे दिया। इसके साथ ही उक्त जानकारी को गंभीरता से लेकर मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने मीडिया को हिदायत दे दी कि वह फेक न्यूज के जरिए गलत संदेश प्रचारित न करें। प्रिंट व इलेक्ट्रानिक के अलावा समानांतर वैकल्पिक मीडिया इस बात का ध्यान रखें।

दरअसल, जनहित याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि 40 वर्ष पूर्व भोपाल गैस त्रासदी हुई थी, जिसका कचरा अब तक निस्तारित नहीं हुआ है। हाई कोर्ट तीन दिसंबर को स्पष्ट आदेश पारित कर चुका है, जिसका सरकार को हर हाल में पालन सुनिश्चित करना चाहिए। इस पर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने साफ किया कि हमने कोर्ट के पूर्व आदेश के एक भाग का पाल करते हुए सुरक्षित तरीके से कंटेरनरों में कचरा परिवहन कर दिया है। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में दायर हुई एमजीएम एलुमिनाई एसोसिएशन, इंदौर की याचिका भी हाई कोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर में स्थानांतरित कर मूल संज्ञान आधारित जनहित याचिकाकर्ता के साथ संलग्न कर सुनवाई में ली गई। याचिकाकर्ता इंदौर के डॉक्टरों की ओर से इंदौर निवासी अधिवक्ता अभिनव धनोदकर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि यूनियन कार्बाइड परिसर, भोपाल के जहरीले लेड, मरकरी आदि घातक रसायनयुक्त कचरे को पीथमपुर लाने का निर्णय क्षेत्रीय नागरिकों को विश्वास में लिए बिना किया गया है।

दरअसल, पीथमपुर और इंदौर की दूरी महज 30 किलोमीटर है, ऐसे में यह निर्णय दोनों शहरों के समीपस्थ लगभग दो हजार निवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरे का सबब बन गया है। इसिलए यह कचरा वापस भोपाल ले जाने का आदेश पारित किया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दे दिया कि कचरा निरस्तारण से पूर्व संबंधित पक्ष के साथ संयुक्त बैठक कर उसके आवेदन पर गंभीरता से विचार कर निराकरण करें।

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