Thursday, December 26, 2024
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एमपी हाई कोर्ट का आदेश- स्वास्थ्य विभाग सात दिन में जारी करे नियुक्ति पत्र

जबलपुर (हि.स.)। एएनएम पद के अभ्यर्थियों ने एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर कुल 292 याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगल पीठ में हुई। इस मामले में हाईकोर्ट के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए आदेश दिया गया है कि एक हफ्ते के भीतर बाकी बचे हुए 1099 पदों पर नियुक्ति पत्र दिए जाए।

इन याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई, लेकिन बुधवार को हाईकोर्ट का आदेश सामने आया। शासन की ओर से अधिवक्ता ने इस प्रक्रिया के लिए कुछ और समय भी चाहा था, पर कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि इसके लिए और वक्त नहीं दिया जाएगा। हाईकोर्ट ने आदेशित किया है कि कोर्ट का यह आदेश अखबारों में वृहद रूप से प्रकाशित किया जाए ताकि अभ्यर्थियों को पता हो कि उन्हें नियुक्ति के लिए कहां संपर्क करना है। यदि 7 दिन में 1099 एएनएम की भर्ती नहीं होती तो कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई होगी। आदेश के बाद अब विभाग को एक हफ्ते के भीतर अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने होंगे।

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कुल 1233 पदों पर एएनएम की भर्ती निकाली गई थी। इस भर्ती प्रक्रिया में शैक्षणिक योग्यता को लेकर मामला कोर्ट में लंबित था। इंदौर हाई कोर्ट के द्वारा 5 अप्रैल 2024 को दिए गए आदेश के बाद कुल 1233 पदों के लिए एएनएम नियुक्ति के लिए परिणाम घोषित किए गए थे। कोर्ट ने योग्य अभ्यार्थियों को पुराने नियम के अनुसार शैक्षणिक योग्यता के तहत योग्य मानते हुए नियुक्ति देने का आदेश जारी किया गया था। इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नियुक्तियों में तेजी नहीं दिखाई गई। जिसके बाद हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के कमिश्नर को कोर्ट में पेश होकर यह बताने के लिए आदेशित किया कि आखिर क्यों स्वास्थ्य विभाग पर अवमानना का मामला ना चलाया जाए। इसके बाद स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के कमिश्नर ने कोर्ट को यह भरोसा दिलाया था कि वह कोर्ट के आदेश का पालन कर भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी करेंगे। लेकिन उसके बाद भी आज तक टोटल 1233 में से केवल 134 अभ्यर्थियों को ही नियुक्ति पत्र मिले हैं।

घोषित किए गए परिणामों के अनुसार जो अभ्यर्थी योग्य हैं उन्हें 8 नवंबर 2024 को सुबह 9:30 से जिले के सीएमएचओ के समक्ष अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने हैं ताकि उन्हें नियुक्ति पत्र दिए जा सके। यहां कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि जिन अभ्यर्थियों के दस्तावेज सही नहीं पाए जाएंगे उन्हें नियुक्ति नहीं दी जाएगी लेकिन नियुक्ति न देने का कारण प्रतिवादियों को बताना होगा जो की एक एफिडेविट के रूप में स्वास्थ्य विभाग निदेशालय को भेजा जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के कमिश्नर को आदेशित किया है कि इस मामले के अगली सुनवाई में वह स्वयं कोर्ट में उपस्थित रहेंगे। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर 2024 को तय की गई है।

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