इंदौर (हि.स.)। कुत्तों की बढ़ती संख्या और इससे शहरवासियों को हो रही परेशानी को लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में चल रही दो जनहित याचिकाओं पर सोमवार को एकसाथ सुनवाई हुई। कोर्ट के आदेश पर निगमायुक्त शिवम वर्मा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नगर निगम लगातार काम कर रहा है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और फटकार लगाते हुए कहा कि कार से उतरिए, कागज पर नहीं, जमीन पर काम दिखना चाहिए। ये याचिकाएं ऐसे खत्म नहीं होंगी। हम निगरानी कर रहे हैं। आम आदमी का सड़क से गुजरना मुश्किल है।
दरअसल, इंदौर में कुत्तों की समस्या को लेकर चल रही इन याचिकाओं में एक पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने एडवोकेट प्रतीक माहेश्वरी के माध्यम से दायर की है, जबकि दूसरी वंदना जैन ने लगाई है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि शहर में कुत्तों के काटने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सूचना के अधिकार में मिली जानकारी बताती है कि हर माह चार हजार से ज्यादा लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। शहर के सिर्फ एक शासकीय अस्पताल में एंटी रैबीज टीका लगाने की व्यवस्था है। कुत्तों के लिए शेल्टर होम नहीं हैं। यही वजह है कि वे सड़कों पर घूमते रहते हैं। अगर शेल्टर होम बनाकर इनकी जिम्मेदारी किसी एनजीओ को सौंप दी जाए तो शहर में कुत्तों की समस्या से निजात पाई जा सकती है।
कोर्ट के आदेश पर निगमायुक्त वर्मा भी सोमवार को सुनवाई में उपस्थित हुए थे। एडवोकेट माहेश्वरी ने कोर्ट को बताया कि निगम भले ही दावे करे, लेकिन कुत्तों की संख्या और समस्या दोनों ही कम होने का नाम नहीं ले रही। कोर्ट ने निगम द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह बहुत गंभीर समस्या है। रोज अखबारों में खबरें प्रकाशित हो रही हैं। इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होना चाहिए। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।