Monday, November 25, 2024
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एमपी हाईकोर्ट का संविदा शिक्षकों के हित में बड़ा फैसला, लोक शिक्षण संचालनालय की नई भर्ती पर लगाई रोक

भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश के संविदा शिक्षकों को उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है. दरअसल 3386 संविदा शिक्षकों की सेवाएं अचानक समाप्त करने के मामले में उच्च न्यायालय ने शनिवार को संविदा शिक्षकों के हित में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बार-बार की चयन प्रक्रिया को अन्यायपूर्ण बताया है। इस फैसले के बाद संविदा शिक्षकों ने न्यायालय का आभार व्यक्त किया है।

दरअसल, समग्र शिक्षा अभियान के तहत मध्यप्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय ने अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों की सेवाएं 31 मई 2024 को समाप्त कर दी थी। डीपीआई ने 3386 संविदा शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की थी और नए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी थी। जिसके बाद पीडित संविदा शिक्षकों ने अदालत की ओर रूख किया था। संविदा शिक्षकों की सेवाएं समाप्त होने के बाद नवीन व्यावसायिक शिक्षा-प्रशिक्षक महासंघ ने एक याचिका दायर की थी।

महासंघ ने वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर के माध्यम से याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने शनिवार को संविदा शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रशिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाए, लेकिन न्यायालय ने पाया कि अधिकांश प्रशिक्षक आवश्यक योग्यता पूरी कर रहे थे। न्यायालय ने संविदा शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि एक अनुबंधित कर्मचारी को दूसरे अनुबंधित कर्मचारी से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने भी कहा कि कि बार-बार चयन प्रक्रिया कराना अनुचित और अन्यायपूर्ण है।

न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रशिक्षकों को उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर बनाए रखना चाहिए और नए सिरे से चयन प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने राज्य द्वारा योग्यता मानदंडों में अनावश्यक परिवर्तन की आलोचना की और प्रशिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए राज्य को निर्देश दिए।

व्यावसायिक प्रशिक्षकों की बड़ी जीत

यह फैसला न केवल व्यावसायिक प्रशिक्षकों के लिए बड़ी जीत है, बल्कि यह नई शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को पूरा करने में भी मददगार साबित होगा। अगर शासन-प्रशासन प्रशिक्षकों के हितों का ध्यान रखता है तो ये प्रशिक्षक नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इस निर्णय ने मप्र के व्यावसायिक प्रशिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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