कोरोना वायरस के जानलेवा संक्रमण से देश की जनता को मुक्त रखने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन 24 मार्च से लागू किया गया था। लॉकडाउन विभिन्न चरणों में लागू किया गया। लॉकडाउन के दौरान अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद थी।
कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में फ्रंट लाइन वर्कर्स- स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मियों तथा पुलिस विभाग का बहुत बड़ा योगदान रहा, जिसके लिए हर कोई उनकी सराहना कर रहा है।
लेकिन इस जंग में विद्युत विभाग के जमीनी तकनीकी कर्मचारियों (लाइनमैन) के योगदान को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। लॉकडाउन के कठिन समय में लाइनमैन पूरी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी पर तैनात रहे। यही कारण है कि विद्युत उपभोक्ताओं को लॉकडाउन के दौरान पावर कट और ब्लैक आउट से निजात मिली रही।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि फ्रंट लाइन वर्कर्स में सबसे आगे विद्युत विभाग के लाइनमेंनो को भी गिना जाना चाहिए। इन लाइनमेंनो के द्वारा बिना मास्क और सैनिटाइजर के विद्युत तंत्र को 24 घंटे चलायमान रखा गया।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जिन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामले थे, वहां कंटेन्मेंट जोन बनाए गए थे। वहां भी बिजली को तत्पर चालू रखा गया। मगर इन लाइनमेंनो को केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही मंत्री, सांसद विधायक के द्वारा धन्यवाद तक नहीं दिया गया। यहां तक कि विद्युत कंपनियों के उच्चाधिकारियों ने भी अपनी आँखें मूंद लीं।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के 52 जिलों की विद्युत व्यवस्था को चलायमान रखने वाले नियमित कर्मी, संविदा कर्मी तथा ठेका श्रमिक को केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा अनदेखा किया गया। करंट के साथ ही कोरोना संक्रमण के जोखिम के बीच हर परिस्थिति में अपनी ड्यूटी करने वाले लाइनमेंनो को वैक्सीनेशन के समय भुला दिया गया।
संघ के एस के मौर्या, केएन लोखंडे, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, संजय वर्मा, महेश पटेल, शशि उपाध्याय, दशरथ शर्मा, अमीन अंसारी ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार इस ओर भी ध्यान दे और सबसे पहले विद्युत विभाग के फ्रंट लाइन वर्कर्स लाइनमेंनो को कोरोना की वैक्सीन लगाई जाए।