मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में जमीनी स्तर पर विपरीत परिस्थितियों में चालू विद्युत लाइनों पर करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले तकनीकी कर्मचारियों की आशाओं पर फिर कुठाराघात हुआ है। मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी ने लंबे समय से जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा की मांग कर रहे इन कर्मचारियों के बदले अधिकारियों को तवज्जो देते हुए उनका कर्मचारियों के मुकाबले अधिक बीमा कवर कराया है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि संघ के नेतृत्व में प्रदेश की सभी विद्युत कंपनी प्रबंधन से मैदानी कर्मचारियों का 20 लाख का जीवन बीमा तथा 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा किए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। लेकिन विगत दिनों पावर जनरेटिंग कंपनी के एक आदेश में ये बात स्पष्ट हुई है कि कंपनी के अधिकारियों का 20 लाख का जीवन कराया गया है, वहीं जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले जमीनी कर्मचारियों का सिर्फ 15 लाख का जीवन बीमा कराया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी विद्युत कंपनियों के सभी वर्ग के जमीनी कर्मचारियों का कम से कम 20 लाख का जीवन बीमा और 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा कराया जाए। हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि सभी कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों का भी कम से कम 20 लाख का जीवन बीमा और 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा कराया जाना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में नियमित तकनीकी कर्मचारियों की कमी के कारण अधिकारी आउटसोर्स कर्मचारियों से ही करंट का कार्य करा रहे हैं, जो कि नियम विरुद्ध है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों से करंट का कार्य कराए जाने के चलते उनके साथ करंट लगने की घटनाएं काफी बढ़ चुकी है, लेकिन घायल कर्मी के उपचार के लिए न तो ठेका कंपनी सहायता करती है और न ही विद्युत कंपनी प्रबंधन मदद करता है। इसलिए नई ठेका कंपनियों के साथ अनुबंध में कर्मियों का बीमा कराए जाने की शर्त अनिवार्य रूप से रखी जाए, लेकिन नियमित तकनीकी कर्मियों की कमी को देखते हुए ये सबसे उचित होगा कि सभी अनुभवी आउटसोर्स कर्मियों का तत्काल विद्युत कंपनियों में संविलियन किया जाए।