अपने ही नियम-कायदे भूली एमपी की बिजली कंपनियां, साँसत में कार्मिकों की जान

लोकेश नदीश: मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियां अपने ही नियम-कायदे भूल चुकी है और नियम विरुद्ध कार्य कराए जा रहे हैं, जिससे मैदानी क्षेत्रों में कार्य करने वाले कार्मिकों की जान हमेशा साँसत में रहती है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जब तक मध्य प्रदेश विद्युत मंडल का अस्तित्व था, तब तक सारे कार्य नियम से होते थे एवं नियमित कर्मचारियों को पदोन्नति लगातार समय-समय पर दी जाती थी।

उन्होंने कहा कि लेकिन वर्ष 2000 के बाद जब से विद्युत वितरण कंपनियों का अस्तित्व सामने आया और प्रबंधन के द्वारा संचालन अपने हाथ में लिया गया है, तब से तकनीकी कर्मचारियों के साथ अन्याय होने लगा है। तकनीकी कर्मचारियों को पहला, दूसरा एवं तीसरा उच्च वेतनमान दिया जा चुका है, लेकिन दूसरा उच्च वेतनमान देने पर सहायक लाइनमैन बनाते थे तथा तीसरा उच्च वेतनमान देने पर लाइनमैन के पद पर पदोन्नति दी जाती थी।

हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि तकनीकी कर्मी को लाइनमैन के पद पर पदोन्नति दिए जाने के बाद ही करंट का कार्य कराया जाता था। उनका कहना है कि जब 30 वर्षों में तीनों उच्च वेतनमान तकनीकी कर्मियों को दिए जा चुके हैं, तो पदोन्नति देने में क्या दिक्कत आ रही है। वर्तमान में 30 साल होने के बाद भी एक भी पदोन्नति नहीं दी जा रही है। हजारों कर्मचारी पदोन्नति के इंतजार में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नियमानुसार करंट का कार्य सिर्फ सहायक लाइनमैन एवं लाइनमैन से ही कराया जा सकता है, लेकिन लगभग 30 वर्षों से बगैर पदोन्नति दिए जमीनी अधिकारी विद्युत कर्मियों से करंट का कार्य करा रहे हैं।

संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, जेके कोस्टा, अजय कश्यप, राजेश यादव, लखन राजपूत, हरि भजन, नीरज पटेल, टी डेविड, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, आजाद सकवार, सुरेंद्र मिश्रा आदि ने कंपनी प्रबंधकों से मांग की है कि जिन कर्मचारियों को तीनों उच्च वेतनमान दिए जा चुके हैं, उन कर्मचारियों को तत्काल पदोन्नति दी जाए।