लोक निर्माण विभाग द्वारा राज्य शासन की नई स्थानांतरण नीति के तहत विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। इसके तहत स्थानांतरण आदेश से लेकर कार्यमुक्ति तक के सभी आदेश विभाग की आधिकृत ई-मेल आईडी के द्वारा ही जारी किये जायेंगे।
प्रमुख सचिव लोक निर्माण नीरज मंडलोई ने कहा है कि स्थानांतरण प्रक्रिया में कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखा गया है। राज्य शासन द्वारा निर्धारित संवर्गवार कोटे के अनुसार ही स्थानांतरण किये जायेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया है कि स्थानांतरण के बाद 7 दिवस में कार्यमुक्त होना अनिवार्य होगा, कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
प्रमुख सचिव मंडलोई ने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई स्थानांतरण नीति 2020-21 का लोक निर्माण विभाग में कड़ाई से पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा कोविड-19 से प्रभावित कर्मचारियों के लिए भी विस्तृत दिशा-निर्देश पूर्व में जारी किये गये है।
जिला स्तरीय संवर्ग को छोड़कर शेष समस्त प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के शासकीय सेवकों के आदेश राज्य शासन स्तर से जारी किए जाएंगे। शासकीय कर्मी को स्थानांतरण के 7 दिवस में अनिवार्य रूप से कार्यमुक्त किया जाएगा, इसका दायित्व संबंधित परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता का होगा।
उन्होंने बताया कि परस्पर सहमति से स्थानांतरण आवेदन पर कार्यालय प्रमुख का प्रमाणीकरण अनिवार्य होगा। उन्होंने स्पष्ट किया है कि स्थानांतरण प्रस्तावों के परीक्षण में यह भी ध्यान रखा जाएगा, कि विभाग द्वारा जारी पात्रता सूची (समयमान वेतनमान) में उच्च पद के प्रभार की पात्रता प्रभावित न हो।
जिन शासकीय सेवकों के पूर्व में मुख्यमंत्री समन्वय से स्थानांतरण किये गये हैं, उनका वर्तमान स्थानांतरण प्रस्ताव तैयार करते समय स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा। इसका परीक्षण प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग को करना होगा। साथ ही राज्य संवर्ग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के स्थानांतरण (जिले के भीतर छोड़कर) विभागीय मंत्री के अनुमोदन उपरांत प्रमुख अभियंता द्वारा किए जाएंगे।