मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के आला अधिकारियों को लगता है योग्यता की कद्र नहीं, तभी तो बैचलर ऑफ इंजीनियर डिग्रीधारक अनुकंपा आश्रित को प्यून के पद पर नियुक्ति दिए जाने का प्रस्ताव भेज दिया।
जानकारी के अनुसार पूर्व क्षेत्र कंपनी के अंतर्गत सागर रीजन के सागर ओएंडएम वृत्त में पदस्थ फ्रंट लाइन वर्कर लाइनमैन लक्ष्मी नारायण नामदेव की कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई थी। जिसके उपरांत उनके पुत्र विनय कुमार नामदेव ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने कार्य के दौरान कोरोना संक्रमण से सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर कर्मचारी के आश्रित परिजन को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने के आदेश जारी किए थे। इसी के तहत लाइनमैन के पुत्र विनय कुमार ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। यहां बता दें कि विनय कुमार बीई डिग्रीधारक हैं और कंपनी की अनुकंपा नीति के तहत तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित अर्हता पूरी करते हैं।
अनुकंपा आश्रित के आवेदन पर पूर्व क्षेत्र कंपनी ने पहले तो सागर रीजन के मुख्य अभियंता कार्यालय से 1 जुलाई को पत्र जारी कर उसे तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति दिए जाने और इसके लिए निर्धारित योग्यता प्राप्त करने के लिए 3 वर्ष का समय देने की बात भी कही। लेकिन कंपनी के सागर रीजन के कार्यपालन अभियंता कार्यालय से 3 सितंबर को फिर नया पत्र जारी कर कहा गया कि भृत्य के पद पर नियुक्ति के लिए उनकी अनुमति चाही गई है, कृपया 8 सितंबर तक उपस्थित होकर अपनी सहमति प्रदान करें।
यहां आश्चर्यजनक है कि कंपनी में पदस्थ उच्च शिक्षित आला अधिकारियों को ही योग्यता की कद्र नहीं है और वे ऐसे निर्णय ले लेते हैं, जिससे उनकी समझ पर सवालिया निशान लगने लगता है। एक बीई डिग्रीधारी आवेदक को भृत्य के पद पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किये जाने का प्रस्ताव समझ से परे है, जहां विद्युत विभाग के सभी अधिकारी स्वयं इंजीनियर हों। आखिर ऐसे में उच्च शिक्षा और योग्यता का क्या महत्व रह जायेगा।
उल्लेखनीय है कि कंपनी की अनुकंपा नीति के अनुसार भी नौकरी पर रहते हुए मृत हुए कर्मचारी के आश्रित को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान है। साथ ही अगर आवेदक इन पदों के लिए निर्धारित योग्यता पूरी नहीं करता है तो उसे निर्धारित योग्यता पूरी करने के लिए 3 साल का समय दिए जाने का भी प्रावधान है।
बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार के अन्य विभागों में शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई है। वहीं जिन अनुकंपा आश्रितों के पास निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं है, उन्हें 5 वर्ष का समय दिया जा रहा है। लेकिन विद्युत विभाग के अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं।