काम की अधिकता, जल्दी सुधार करने का दबाव और सुरक्षा उपकरणों का अभाव विद्युत लाइन कर्मियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनी में कार्यरत लाइनमैन, चाहे वह नियमित हो या संविदा अथवा आउटसोर्स कर्मी हों, अधिकारी और ठेका कंपनी को सिर्फ कार्य कराने से मतलब है।
वहीं अगर कार्य के दौरान कोई कर्मी दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तो सबसे पहले विद्युत अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। और अगर पीड़ित आउटसोर्स कर्मी हो तो उसे उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। उसकी सुध न तो विद्युत कंपनी लेती और न ही ठेका कंपनी उसका इलाज कराती है।
ऐसा ही एक मामला मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत जबलपुर रीजन के जबलपुर ओएंडएम सर्किल में सामने आया है, जहां सुधार कार्य के दौरान करंट से बुरी तरह झुलसे आउटसोर्स कर्मी की चिंता न तो विद्युत कंपनी ने की और न ही ठेका कंपनी ने। उल्टे ठेका कंपनी ने घायल आउटसोर्स कर्मी का इलाज कराने से इंकार कर दिया।
जानकारी के अनुसार जबलपुर ओएंडएम सर्किल के पाटन संभाग के अंतर्गत बेलखेड़ा डीसी में पदस्थ आउटसोर्स कर्मी कालू सिंह को शनिवार 9 अक्टूबर की रात को जूनियर इंजीनियर के द्वारा उड़ा कला गांव में लगे ट्रांसफार्मर के डीओ का फ्यूज लगाने का कार्य सौंपा था।
कर्मी कालू सिंह बेलखेड़ा 33×11 केवी सब-स्टेशन से सप्लाई बंद करवा कर ट्रांसफार्मर की डीपी के ऊपर चढ़कर डीओ फ्यूज लगा रहा था। उसी समय सप्लाई चालू होने से वह करंट की चपेट में आ गया और उसका दाहिना हाथ, बायां पैरतथा पीठ आदि बुरी तरह झुलस गए।
साथ में मौजूद सहयोगीयों के द्वारा उसे तत्काल बेलखेड़ा हॉस्पिटल ले जाकर प्राथमिक उपचार कराया गया। वहाँ आराम ना लगने की वजह से बेलखेड़ा से रेफर करवा कर जबलपुर में एक निजी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया गया है। गरीब मां-बाप के द्वारा 10,000 रुपये किसी से उधार लेकर जमा कराए गए, जिसके बाद कर्मी का उपचार शुरू हो पाया। इस दौरान पाटन संभाग के कार्यपालन अभियंता नीरज कुच्या भी आउटसोर्स कर्मी का हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे।
वहीं मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व क्षेत्र विद्युत कंपनी प्रबंधन के द्वारा मुंबई की क्रिस्टल कंपनी को जबलपुर ओएंडएम सर्किल के जबलपुर ग्रामीण, सिहोरा तथा पाटन संभाग में आउटसोर्स के कर्मी उपलब्ध कराने का ठेका दिया गया है। घायल आउटसोर्स कर्मी भी क्रिस्टल कंपनी के अंतर्गत कार्यरत है।
उन्होंने बताया कि क्रिस्टल कंपनी के मैनेजर से घायल आउटसोर्स कर्मी का इलाज कराने की बात कही गई तो उसने साफ इंकार कर दिया कर दिया है कि हम इलाज कराने के लिए पैसे नहीं दे पाएंगे। आउटसोर्स कर्मी स्वयं इलाज कराए, मेडिकल बिल दे उसके बाद कंपनी में बिल लगाएंगे तब पैसा दे पाएंगे।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, सुरेंद्र मेश्राम आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि आउटसोर्स कर्मी का इलाज न करवाने वाली क्रिस्टल कंपनी का ठेका तत्काल समाप्त किया जाए। साथ ही सभी आउटसोर्स कर्मियों का विद्युत कंपनी में संविलियन कर 20 लाख का बीमा करवा कर इलाज के लिए कैशलेस की सुविधा दी जाए।