मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों के संयुक्त कर्मचारी संगठनों के द्वारा 21 जनवरी से तीन सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन किया जाएगा, इस दौरान अति आवश्यक सेवाएं जैसे हॉस्पिटल आदि को सेवाएं उपलब्ध कराते हुए, बाकी अन्य सभी कार्यों का बहिष्कार किया जाएगा।
बिजली कंपनियों के संयुक्त संगठनों के पदाधिकारियों ने आक्रोश जताते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की उतरवर्ती बिजली कंपनियों के प्रबंधन द्वारा आउटसोर्स एवं संविदा कर्मचारियों का लगातार शोषण किया जा रहा है। उन्हें अवकाश नहीं दिया जा रहा है, समयसीमा से अधिक कार्य लिया जा रहा है, जिसकी वजह से वे परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं। बेवजह दबाव के चलते कर्मचारी तनावग्रस्त हो रहे हैं, जिसकी वजह से जोखिम के कार्य के दौरान लगातार करंट लगकर मृत्यु हो रही, दुर्घटनाएं हो रही है, लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी उनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति तक नहीं दी जा रही है।
संयुक्त संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा है कि अब बिजली कर्मी झूठे वादों के झांसे में नहीं आएगा। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की गई है कि 21 जनवरी के पूर्व उनकी तीन सूत्रीय मांगों को अतिशीघ्र पूरा किया जावे अन्यथा कर्मचारी संगठन मजबूर होकर अनिश्चितकालीन आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। इस दौरान विद्युत अवरोध होने पर मध्यप्रदेश शासन एवं कंपनी प्रबंधन जवाबदार होंगे। संयुक्त संगठन के शंभू नाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, अरुण ठाकुर, शिव राजपूत, शंकर यादव, राहुल मालवीय, मोहन दुबे, रतिपाल यादव, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, अरुण मालवीय, सुरेंद्र मेश्राम, आजाद सकवार, इंद्रपाल सिंह, विनोद दास, लखन सिंह राजपूत, सुखदेव झरिया, पुरुषोत्तम पटेल, हेमंत पांच्चे, जगदीश मेहरा, शीतल चौधरी, राजेश शरण आदि ने सरकार और ऊर्जा विभाग की अनदेखी पर आक्रोश जताया है।