मध्यप्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में कार्यरत 3813 नियमित कर्मचारियों जीएसएलआई. पॉलिसी के करीब 8 करोड़ 13 लाख रुपये की राशि एलआईसी ने 7 प्रतिशत ब्याज सहित बिजली कंपनी के खाते में भुगतान कर दी है, पर बिजली कंपनी ने अब तक यह राशि इन कर्मचारियों को अदा नहीं की है। बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव ने यह राशि मय ब्याज के तत्काल भुगतान किये जाने की मांग की है।
मध्यक्षेत्र बिजली कंपनी भोपाल-ग्वालियर रीजन सहित 20 सर्किल, 55 डिवीजन, 359 वितरण केन्द्र, जोन सहित 532 कार्यालयों के करीब 3800 कर्मचारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि पहले बिजली कंपनी ने उनकी बिना सहमति के उन पर जीएसएलआई पॉलिसी थोपी और फिर 86 मासिक किस्ते भरने के बाद कर्मचारियों की सहमति व अंडरटेकिंग लिये बिना मनमाने पूर्ण ढंग से 28 अगस्त 2020 को बिजली कंपनी ने बाकायदा आदेश जारी कर जून 2013 से प्रारम्भ की गई समूह बचत सहबीमा योजना पॉलिसी को अचानक बंद करने का एकतरफा निर्णय ले लिया।
एलआईसी ने विद्युत मण्डल कर्मी कैडर की बीमा पॉलिसी नंबर 125216 एवं कंपनी कैडर पॉलिसी नंबर 123552 को बन्द करने का कारण प्रीमियम और दावा भुगतान के खराब अनुभव व इससे नुकसान होना बताया है। मनोज भार्गव का कहना है कि पावर ट्रांसमिशन व अन्य कंपनी में जीएसएलआई पॉलिसी 113 माह से अब भी जारी है पर मध्यक्षेत्र में पॉलिसी बन्द हुये 27 माह हो चुके हैं ये भेदभाव समझ से परे है। उन्होंने बताया कि बिजली कर्मचारी इस बात को लेकर आक्रोशित हैं कि बिजली कंपनी ने एलआईसी को क्लेम फॉर्म भेजने व अन्य प्रक्रिया की वजह से 27 माह से उनकी राशि अटकी हुई है।
मनोज भार्गव ने कहा कि मध्यक्षेत्र कंपनी के प्रथम श्रेणी कर्मी के 51,600 रुपये सुपरवाईजर कर्मियों के 34,400 रुपये, तृतीय श्रेणी के 25,800 रुपये व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के 17,200 रुपये खटाई में पड़े हुये हैं। इसके साथ ही बिजली कंपनी के आदेश में स्पष्ट था कि सेवानिवृत्ति या नौकरी छोड़ने पर जमा बचत राशि ब्याज सहित एलआईसी वापस करेगी, पर अनेक रिटायर्ड कर्मियों को यह जीएसएलआई जमा राशि ब्याज सहित अब तक नहीं मिली है।
बिजली कंपनी में अपनाई जा रही भेदभावपूर्ण नीति का खुलासा कर मनोज भार्गव ने कहा कि पॉवर मैनेंजमेंट कंपनी ने गत जुलाई 2022 को आदेश जारी कर जीटीआईएस पॉलिसी 40 रुपये से बढ़ाकर 87 रुपये एवं 50 रुपये की पॉलिसी बढ़ाकर 109 रुपये करने के आदेश जारी कर दिये हैं, पर मध्यक्षेत्र कंपनी में अब भी जीटीआईएस की राशि पुरानी दर से ही कटौती की जा रही है।
मनोज भार्गव ने कहा कि विद्युत मण्डल के विखण्डन के समय कर्मचारियों के हितों पर विपरीत असर नहीं पड़ने का लिखित वादा मैनेजमेंट ने किया था, पर कर्मचारियों के बीमे को लेकर एकरूपता नहीं है, जो कर्मचारियों से सरासर खिलवाड़ है। कहीं मनमाने पूर्ण ढंग से पॉलिसी बन्द की जा रही है, तो कहीं जीटीआईएस पॉलिसी की पुरानी दर बरकरार है। मैंनेजमेंट को इस बारे में कर्मचारी हित में कदम उठाना चाहिए।