जागरूक अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय कल्याण समिति मध्यप्रदेश ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि मप्र शासन अपने कर्मचारियों को 15 वर्ष पूर्व के छटवें वेतनमान से मान से गृह भाड़ा भत्ता प्रदान कर रही है। कर्मचारियों को 7वां वेतनमान लागू हुए दशक बीत जाने के बाद भी अन्य किसी भी प्रकार के भत्ते 7वें वेतनमान के अनुरूप नहीं दिये जा रहे हैं। जो भत्ते प्राप्त हो रहे हैं वह वर्ष 2006 के वेतनमान के अनुसार देय हो रहे हैं, जबकि केन्द्रीय कर्मचारियों को समस्त भत्ते वर्ष 2015 के अनुरूप दिये जा रहे हैं, जिससे केन्द्रीय और राज्य शासन के कर्मचारियों में भत्ता का विकराल अंतर हो गया है और राज्य शासन से प्राप्त ग्रहभाडा में तो मकान किराये पर मिलना भी असंभव है।
वहीं मंहगाई वर्ष 2006 के बाद से चरम पर पहुंच गई हैं और आज कर्मचारियों को प्राप्त छटवें वेतनमान के भत्ते उंट के मुंह में जीरा बराबर हैं। कर्मचारी प्रतिमाह लगभग 5000 से 6000 रुपए तक मकान किराये के रूप में अपने वेतन से दे रहा है, जो प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख रूपये होता है, इस मकान किराये की राशि का कर्मचारी को इनकम टैक्स में छूट भी नहीं मिलती है, इसलिए शासन से गृह भाड़ा भत्ता प्राप्त न होने से और वेतन से किराये की राशि देने से कर्मचारी को दोहरा नुकसान झेलना पड़ा रहा है। प्रदेश शासन के कर्मचारियों को बहुत कम गृह भाड़ा भत्ता मिलने से परिवार को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शासन का कर्मचारियों को भत्ते न प्रदान करने से समस्त लोक सेवको में अत्यंत रोष व्याप्त है।
संघ के उदित भदौरिया, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डेय, कुलदीप पटेल, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, सीएन शुक्ला, चूरामन गूर्जर संदीप चौबे, अंकित चौरसिया, तुषरेन्द्र सिंह नीरज कौरव, निशांक तिवारी, नवीन यादव, अशोक मेहरा, सतीश देशमुख, रमेश काम्बले, पंकज जायसवाल, प्रीतोष तारे, शेरसिंह, मनोज सिंह, अभिषेक वर्मा, वीरेन्द्र पटेल, रामकृष्ण तिवारी, रितुराज गुप्ता, अमित गौतम, अनिल दुबे, शैलेन्द्र दुबे, अतुल पाण्डे आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से ईमेल कर मांग की है कि राज्य शासन के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता प्रदाय किये जायें, अन्यथा संघ धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा।