मध्य प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण का विरोध कर रहे कर्मचारी संगठनों और यूनियनों के बीच प्रदेश की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का एक आदेश चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ ही इस आदेश के सामने आने से कर्मचारी संघ और संगठनों के पदाधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
जानकारी के अनुसार पश्चिम क्षेत्र कंपनी ने एक वर्ष पूर्व एक आदेश जारी कर कहा है कि विद्युत कंपनियों के कर्मचारी संगठनों के ऐसे पदाधिकारी, जिनके ऊपर आपराधिक मामला दर्ज है और न्यायालय द्वारा दोषी उन्हें करार देकर दंडित किया गया है, उनकी उपस्थिति कंपनी प्रबंधन द्वारा आयोजित बैठकों में अमान्य कर दी जाएगी।
इसके अलावा पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक आदेश के अंतर्गत कहा था कि कर्मचारी संगठनों में पदों पर काबिज सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी भी प्रबंधन द्वारा आहूत बैठकों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। बैठकों में कर्मचारी संगठनों के ऐसे सेवानिवृत्त पदाधिकारियों की भी उपस्थिति अमान्य घोषित कर दी है।
साथ ही पश्चिम क्षेत्र कंपनी ने ये भी स्पष्ट किया था कि अगर कर्मचारी संगठन ऐसे पदाधिकारियों को बैठकों में भेजना बंद नहीं करते हैं तो उनके संगठन को बैठकों में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। इस आदेश के सामने आने के बाद विद्युत गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है और सभी कर्मचारी संगठन इसे निजीकरण के विरोध में होने वाले प्रस्तावित आंदोलन से भी जोड़ रहे हैं।