जबलपुर (हि.स.)। शहर में स्वच्छ पर्यावरण और शहर को सुन्दर बनाने की दिशा में शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 45 विभिन्न प्रजातियों के छायादार एवं फलदार पौधे लगाने का निर्णय लिया गया है। मानसून आगमन के दौरान माह जून से सितम्बर तक एक लाख अर्थात 25 हजार प्रत्येक महिने एवं अक्टूबर में माह के दशहरा से दीपावली के मध्य एक साथ 11 लाख पौधे संस्कारधानी में वाल्मीकि पद्धति के द्वारा लगाये जायेगें। महापौर जगत बहादुर अन्नू ने जानकारी देते हुए बताया कि इस पद्धति से बहुत कम समय में जंगलों को घने जंगलों में परिवर्तित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि इसका मूल उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग के कारणे आने वाले समय में तापमान को कंट्रोल करने, स्वच्छ प्राण वायु को बढ़ाने, के साथ-साथ वायु प्रदूषण कम करने तथा तापमान नियंत्रण के साथ-साथ आक्सी रिच जोन के रूप में विकसित होगा। इस विधि के द्वारा लगाये गए पेड़ स्वयं अपना विकास करते हैं और 3 वर्ष के भीतर विकसित हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि पद्धति में उपयोग किये जाने वाले पौधे ज्यादातर आत्मनिर्भर होते हैं और उन्हें खाद एवं जल देने जैसे नियमित रख-रखाव की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि स्थानीय वृक्षों का घना हरा आवरण उस क्षेत्र के धूल कणों को अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जहॉं उद्यान स्थापित होता है साथ ही पौधे सतह के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं। इन वनों के लिये उपयोग किये जाने वाले कुछ सामान्य स्थानीय पौधों में नीम, करंज, शहतूत, सप्तपर्ण, हर्रा-बहेड़ा, अंजन, अमला, बेल, अर्जुन और गुंज शामिल हैं। इस योजना ने घरों के आगे अथवा पीछे खाली पड़े स्थान को छोटे बागानों में बदलकर शहरी वनीकरण की अवधारणा में क्रांति ला दी है, इस पद्धति में देशी प्रजाति के पौधे एक दूसरे के समीप लगाये जाते हैं जो कम स्थान घेरने के साथ ही अन्य पौधों की वृद्धि में भी सहायक होते हैं। वाल्मीकि पद्धति से पौधे लगाये जायेगें इस पद्धति के माध्यम से घरों के आगे, पीछे, छोटे-छोटे खाली जगहों पर भी पौधे लगाकर वन तैयार किये जायेगें, महापौर ने इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि उक्त कार्यो के लिए गंभीरता से तैयारियॉं करें, ताकि समय सीमा में उच्च गुणवत्ता के साथ पौधे लगाकर संकल्प को पूरा किया जा सके।
महापौर ने बताया कि संस्कारधानी में बाल्मीकि पद्धति से 12 लाख जो पौधे लगाये जायेगें, उसे बचाने के लिए फेसिंग, बोरिंग, खाद का बेड बनाने, रेन गन का इस्तेमाल करने के अलावा कैमरों से निगरानी रखी जायेगी स्वच्छ वायु के लिए महापौर के दो वर्ष के कार्य काल में अभी तक 1 लाख बीजा रोपण और 1 लाख 41 हजार 1 सौ 85 पौधारोपण कार्य सम्पन्न हुआ है।