एक ओर बिजली कंपनी प्रबंधन का दावा है कि आउटसोर्स कर्मियों को इलाज के लिए ठेकेदार द्वारा ESIC सुविधा और सहायता राशि प्रदान की जाती है। लेकिन ठेकेदारों पर आंख मूंदकर विश्वास करने वाला बिजली कंपनी प्रबंधन शायद ये नहीं जानता कि समय पर सहायता राशि नहीं मिलने पर इलाज के लिए आउटसोर्स कर्मियों के परिजनों को घर तक बेचना पड़ता है।
बिजली कंपनियों में लगातार हो रही जानलेवा घटनाओं के बावजूद बिजली कंपनी प्रबंधन का अड़ियल रवैया ये दर्शाता है कि संवेदना, मानवीयता जैसी ईश्वरीय भावनाओं का उसके लिए कोई अर्थ नहीं है, यही कारण है कि आउटसोर्स कर्मियों की लगातार मौतों के बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 10 अक्टूबर को पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के उमरिया के अंतर्गत नरोजाबाद डीसी के कनिष्ठ अभियंता के द्वारा आउटसोर्स कर्मी ऑपरेटर उपेंद्र त्रिपाठी को 11 केवी लाइन में आए फाल्ट के सुधार का कार्य सौंपा गया था। आउटसोर्स कर्मी के द्वारा सप्लाई बंद करने के लिए 33*11 केवी सर्विस स्टेशन के अंदर डिस्चार्ज रॉड लगाते समय शॉर्ट सर्किट हो गया। शॉर्ट सर्किट होते ही आउटसोर्स कर्मी के कपड़ों में आग लग गई और वो 62 प्रतिशत जल गया था।
हादसे समय मौजूद सहयोगियों के द्वारा तत्काल एंबुलेंस से लाकर आउटसोर्स कर्मी को जबलपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल के आईसीयू बर्न वार्ड में भर्ती कर दिया गया था, लेकिन गंभीर रूप से घायल आउटसोर्स कर्मी को जब यहां आराम नहीं लगा तो उसके परिजन उसे 15 अक्टूबर को उपचार के लिए महाराष्ट्र ले गए, लेकिन उपचार के दौरान आज 19 अक्टूबर को सुबह उसकी मौत हो गई।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मृत आउटसोर्स कर्मी के परिजनों का कहना है कि ठेकदार के सुपरवाइजर ने उपचार के लिए सहायता राशि देने से स्पष्ट इनकार करते हुए कहा कि पहले उपचार कराओ, बाद में इलाज के बिल लगाने पर सहायता राशि दी जायेगी, वहीं जूनियर इंजीनियर ने भी कुछ बताने और सहायता करने से इनकार कर दिया। परिजनों का कहना है कि उन्होंने उपेंद्र त्रिपाठी के इलाज में कर्ज लेकर 6 लाख रुपए खर्च किए हैं, लेकिन कंपनी और ठेकेदार ने अब तक एक पैसे की सहायता नहीं दी।
तकनीकी कर्मचारी संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, इंद्रपाल सिंह, संदीप यादव, पवन यादव, राजेश यादव, दशरथ शर्मा, संदीप दीपंकर आदि ने कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि बिजली कंपनी द्वारा इस घटना की सूक्ष्मता से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।