मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि राज्य विज्ञान शैक्षणिक संस्थान (एसआईएसई) जबलपुर के प्रभारी संचालक की कार्यशैली से प्रशिक्षण संस्थान में एमएड व बीएड करने वाले प्रशिक्षणार्थी हैरान व परेशान हैं।
प्रभारी संचालक द्वारा हद तो तब कर दी गई जब बीएड प्रशिक्षणार्थी के कार्यमुक्त होने के पूर्व संस्थान से नो ड्यूज लेने हेतु उन्हें आदेशित किया गया कि संस्थान में ही पदस्थ व अध्ययनरत् दो एमएड के प्रशिक्षणार्थियों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेकर आएं। मजबूरीवश अध्यापकों को उन दोनों एमएड के प्रशिक्षणार्थियों से फिजिक्स व एक अन्य विषय के अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त कर संस्थान में जमा करना पड़ा, जो कि नियम विरूद्ध है।
एमएड के प्रशिक्षणार्थीयों द्वारा संस्थान में बीएड करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को अपने हस्ताक्षर से नो-ड्यूज जारी की गई है, जब ये स्वयं एमएड के प्रशिक्षणार्थी हैं तो इनके द्वारा बीएड करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को नो-डयूज किस आधार पर जारी किया जा रहा है।
संस्थान में नियम विरूद्ध एनओसी जारी करना गंभीर अनियमितताओं को जन्म देता है। इसके साथ ही कार्यमुक्त हुए प्रशिक्षणार्थियों को दो वर्ष ग्रीष्मकालीन अवकाश में प्रशिक्षण लेने के बदले मिलने वाले अर्जित अवकाश का आदेश भी नहीं दिया गया, जबकि संस्थान में ग्रीष्मकाल में प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण देने वाले शिक्षकों को अर्जित अवकाश का लाभ दिया जा रहा है तो यह दोहरा मापदण्ड क्यों?
संघ के मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, अजय सिंह ठाकुर, तरूण पंचौली, मनीष चौबे, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, श्यामनारायण तिवारी, प्रणव साहू, गणेश उपाध्याय, राकेश दुबे, मनीष लोहिया, राकेश उपाध्याय, मनोज सेन, सुदेश पाण्डेय, विनय नामदेव, देवदत्त शुक्ला, सोनल दुबे, विजय कोष्टी, अब्दुल्ला चिस्ती, पवन ताम्रकार, संजय श्रीवास्तव, आदित्य दीक्षित, संतोष कावेरिया, जय प्रकाश गुप्ता, आनंद रैकवार, अभिषेक मिश्रा, संतोष तिवारी आदि ने आयुक्त, राज्य शिक्षा केन्द्र, भोपाल को ईमेल भेजकर मांग की है कि संचालक, राज्य विज्ञान शैक्षणिक संस्थान जबलपुर में हो रही अनियमित्ताओं की जांच कर दोषी प्रभारी संचालक पर कार्यवाही कर प्रभारी प्रथा को खत्म किया जाये।