Saturday, December 28, 2024
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धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां नहीं हटाने पर सोशल मीडिया के जिम्मेदारों को हाई कोर्ट का नोटिस

जबलपुर (हि.स.)। पूर्व आदेश के बावजूद बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के विरुद्ध पूर्व विधायक आरडी प्रजापति व अन्य द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियां तत्काल प्रभाव से नहीं हटाए जाने को अवमानना याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। एमपी हाई कोर्ट के जस्टिस राजमोहन सिंह की एकलपीठ ने बुधवार को अवमानना मामले की प्रारंभिक सुनवाई पश्चात् फेसबुक, यू-ट्यूब, एक्स (ट्विटर) को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।

दरअसल, पिछले महीने चार दिसंबर को हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे फेसबुक, यू-ट्यूब, और ट्विटर को निर्देश दिया था कि बागेश्वरधाम के महंत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियां तत्काल हटाई जाएं। इस निर्देश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका दायर की गई। न्यायमूर्ति राजमोहन सिंह की एकलपीठ ने जिम्मेदार अधिकारियों को तलब करने का आदेश दिया है। इसके परिणामस्वरूप, कई मीडिया और सोशल मीडिया संस्थानों को समन भेजा गया है।

यह अवमानना का मामला बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के शिष्य रंजीत सिंह पटेल की ओर से दायर किया गया है। जिनकी ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे व रितिका गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम, छतरपुर के पीठाधीश्वर हैं। वे सनातन धर्म के पूजनीय संत हैं और उनकी महिमा पूरे विश्व में फैली है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि आचार्य शास्त्री की विलक्षणता से नाखुश होकर दुर्भावनावश पूर्व विधायक प्रजापति ने सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट और खबरें प्रकाशित-प्रसारित कराई हैं।

आरोप है कि प्रजापति ने केवल आचार्य की प्रतिष्ठा धूमिल करने के उद्देश्य से ऐसा किया है। याचिकाकर्ता ने आचार्य शास्त्री के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियों के संबंध में संबंधित अधिकारियों को शिकायत कीं और इंटरनेट मीडिया के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। जब कार्रवाई नहीं हुई तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर न्यायालय ने अपने चार दिसंबर के आदेश पर तत्काल प्रभाव से आपत्तिजनक टिप्पणियां हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं हटाई गई, जिस पर यह अवमानना याचिका दायर की गई। जिस पर न्यायालय ने जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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