बिजली कंपनियों के लिए अब समय आ गया है कि बिजली आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन कर ही दिया जाए और भविष्य के लिए सतर्क हो जाया जाए, अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब भौगोलिक और एक-एक लाइन और कटआउट का ज्ञान रखने वाले कर्मचारी ही नहीं बचेंगे और बड़े फाल्ट आने पर अधिकारियों को ही पोल पर चढ़कर सुधार कार्य करना होगा ।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जबलपुर सिटी सर्किल के अधीक्षण अभियंता के द्वारा विद्युत तंत्र के सुचारू संचालन के लिए सेवानिवृत्ति अनुभवी लाइनमैनों की सेवाएं लेने का निर्णय लिया गया है। अधीक्षण अभियंता के द्वारा यह शुरुआत करना बहुत अच्छी बात है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि वैसे देखा जाए तो यह समस्या मध्यप्रदेश की सभी तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की समस्या है। सभी जगह लाईनमैनों की कमी होने की वजह से विद्युत तंत्र का सुचारू संचालन और ट्रिपिंग और फॉल्ट की समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है, जिससे सबसे ज्यादा परेशान उपभोक्ता है। क्योंकि बार-बार होने वाले अघोषित पावर कट की वजह से वो हमेशा परेशान रहता है। कंपनियों के प्रबंधन को ये भी देखना चाहिए कि सेवानिवृत्त अनुभवी कर्मचारी को सिस्टम को ज्यादा समय तक नहीं चला सकते है। उसके लिए ऊर्जा विभाग को रास्ता निकालना पड़ेगा, तभी उपभोक्ता सेवा सर्वोपरि का नारा सही साबित होगा।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि संघ द्वारा पिछले 15 वर्षों से लगातार शासन एवं कंपनी प्रबंधनों को पत्र लिखकर अवगत करा रहा है कि 15 वर्षों से लगातार सेवानिवृत्ति के कारण होने वाले रिक्त स्थान की पूर्ति नियमित कर्मचारियों की भर्ती कर, करना है। लेकिन शासन एवं कंपनी प्रबंधनों के द्वारा नियमित भर्ती नहीं की गई। कंपनी प्रबंधनों के द्वारा संविदा कर्मचारियों की भर्ती की गई थी तो, उसका सबसे पहले संघ द्वारा विरोध किया गया। संघ ने कहा था कि इससे विद्युत कंपनी गलत दिशा की ओर जा रही है, संविदा की जगह नियमित भर्ती करना चाहिए।
उसके बाद कंपनी प्रबंधनों के द्वारा आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सभी कंपनियों में लगभग 50,000 आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती कर ली गई, जबकि नियमित कर्मचारियों की भर्ती करना था। अगर संघ के द्वारा समय-समय पर दिए गए सुझावों को माना होता तो ऐसी नौबत नहीं आती और आज बिजली कंपनियों में अनुभवी लाइनमैनों की कमी नहीं होती।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि अब तो फिलहाल एक ही रास्ता बचा है कि यथाशीघ्र अनुभवी हो चुके 50,000 आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन किया जाए और जिस अनुपात में उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, उसी अनुपात में समय-समय पर नियमित पदों पर भर्ती की जाए।
संघ के केएन लोखंडे, एसके मौर्य, एसके सिंह, एसके शाक्य, मोहन दुबे, जेके कोस्टा, अजय कश्यप, शशि उपाध्याय, लखन सिंह राजपूत, महेश पटेल, इंद्रपाल सिंह, आजाद सकवार, संदीप यादव, पवन यादव, विपतलाल विश्वकर्मा, विनोद दास, पीएम मिश्रा आदि ने सभी बिजली कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि नियमित अनुभवी लाईनमैनो की अत्यधिक कमी को देखते हुए यथाशीघ्र 50,000 आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन करने और समय-समय पर नियमित पदों पर भर्ती का सुझाव और प्रस्ताव प्रदेश सरकार और ऊर्जा विभाग के पास भेजा जाए।