खुद को बिजली कंपनी प्रबंधन से ऊपर समझने वाले मैदानी अधिकारी पहले तो फील्ड स्टाफ से नियम विरुद्ध कार्य करवाते हैं और फिर इसमें भी गलती या कमी निकाल कर अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मैदानी अधिकारियों के द्वारा बकायादार उपभोक्ताओं को सब-स्टेशनों में पदस्थ स्टाफ से कॉल करवाया जाता हैं। जिससे उपभोक्ता एवं स्टाफ के बीच हमेशा विवाद की स्थिति बन जाती है और दूसरे कार्य प्रभावित होते हैं।
लेकिन इन सब के बीच स्थिति वहां दुखदाई हो जाती है, जब सब-स्टेशन से सप्लाई बंद हो जाती है और उपभोक्ताओं से बात कर रहे ऑपरेटर को अधिकारी कॉल करता है, लेकिन फोन इंगेज आने पर वही अधिकारी सब-स्टेशन ऑपरेटर को अपमानित करते हुए आरोप लगाता है कि पता नहीं तुम लोग कहां-कहां बात करते रहते हो।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मैदानी अधिकारी ही ऑपरेटरों को बकायादार उपभोक्ताओं की लिस्ट देकर वसूली का दबाव बनाते हुए टारगेट तय कर देते हैं। कॉल करने के दौरान उपभोक्ता प्रतिउत्तर में गाली-गलौच करते हैं और बिल जमा करने के बाद तत्काल बिजली सप्लाई चालू करने का कहते हुए बहस करते हैं कि लाइन कटी थी, बिल जमा किए 2 घंटे हो गए अभी तक क्यों नहीं चालू की। इतना ही नहीं ऑपरेटर का फोन नंबर मिल जाने के बाद उपभोक्ता रात को बिजली बंद होने पर कॉल सेंटर 1912 में फोन करने की बजाए ऑपरेटर को फोन लगाते हैं और वाद-विवाद करते हैं।
संघ केमोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह आदि ने बिजली कंपनी के उच्च अधिकारियों से मांग की है कि शिकायत केंद्र और कॉल सेंटर ऑपरेटरों से बकायादार उपभोक्ताओं को भी कॉल करवाना चाहिए, ताकि विवाद की स्थिति निर्मित न हो और सब-स्टेशनों का सिस्टम प्रभावित न हो।