मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे एवं जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय ने सरकारी वाहनों को नीलाम करने के पश्चात ड्राइवरों को नए वाहन खरीद कर चलवाने के लिए न दिए जाने, कंडम वाहन बिना लिखित आदेश के चलवाने को अनुचित बताते हुए कार्यभारित स्थापना एवं नियमित स्थापना सेवा भरती अधिनियम का खुला उलंघन बताया है।
उन्होंने बताया कि विभागों ने 10-15 वर्षों में सरकारी वाहनों की नीलामी करके बेच दिया है, नये वाहन नहीं खरीदे जा रहे हैं, नगर निगम, विकास प्राधिकरण, आईटीआई, शिक्षा, वन, स्वास्थ, हिरन जल संसाधन, लोक स्वास्थ यांत्रिकी, राजस्व, पीआईयू, कोषालयों, महिला बाल विकास, स्वास्थ, सामान्य विभागों में सरकारी ड्राइवरों से कबाड़ हालात वाले वाहन चलवाये जा रहे है, अनेक ड्राइवरों को बिना वाहन चलते मासिक वेतन दिया जा रहा है, वाहन चालकों से ड्राइवरी की जगह सफाई और माली का काम, बेगार करवाया जा रहा है।
वहीं कुछ शासकीय वाहन जर्जर अवस्था में है जो 8 या 10 किलोमीटर प्रति लीटर डीजल या पेट्रोल के हिसाब से चल रहे है। चालकों की ड्यूटी भी इन जर्जर वाहनों में लगाई जाती, किसी भी समय ये वाहन दुघटनाग्रस्त होते रहते है, चालक की मौत या घायल होता है तो उसे बीमा की पात्रता नहीं होगी, क्योंकि इन वाहनों को चलाने के कार्यालय प्रमुखों द्वारा लिखित आदेश नहीं दिए जाते हैं।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, प्रशांत सोंधिया, मुकेश चतुर्वेदी, प्रदीप पटैल, देव दोनेरिया, नरेश शुक्ला, संतोष मिश्रा, संजय गुजराल, विश्वदीप पटेरिया, एके प्यासी, कपिल दुबे, योगेश चौधरी, अजय दुबे, रवि दहायत, एसके वांदिल, योगेन्द्र मिश्रा, सतीश उपाध्याय, विनय नामदेव, पीएल गौतम, रवि बांगड़, चंदु जाऊलकर, विपिन चौबे ने समस्त विभागों में नए सरकारी वाहन ड्राइवरों से चलाने की मांग की है। जिससे ड्राइवरों से वेतन के अनुसार कार्य लिया जा सके।