मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों का साथ ही विभिन्न विभागों, उपक्रमों, मण्डल, बोर्ड एवं नगरीय निकायों में कार्यरत करीब ढाई लाख आउटसोर्स कर्मचारी लगातार मिनिमम वेजेस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
एमपी के आउटसोर्स कर्मियों का मिनिमम वेजेस केन्द्र सरकार के आउटसोर्स कर्मियों के समान दोगुना किये जाने की माँग को लेकर बीती रात करीब 1 बजे मुख्यमंत्री निवास पर मुलाकात की।
ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चे के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर आउटसोर्स पंचायत बुलाये जाने की माँग की। इस दौरान सीएम चौहान ने प्रदेश के आउटसोर्स कर्मियों की वेतन वृद्धि को लेकर जल्द ही कदम उठाकर निराकरण करने का आश्वासन दिया।
मनोज भार्गव ने सीएम चौहान से कहा कि संविदा, अप्रेंटिस कर्मी का वेतन बढ़ा, ऊषा-आशा कार्यकर्त्ताओं का डेढ़ गुना एवं रोजगार सहायक व अतिथि शिक्षकों का दोगुना वेतन बढ़ाया गया, पर मध्य प्रदेश के ढाई लाख आउटसोर्स कर्मी, केन्द्र के आउटसोर्स कर्मियों की तुलना में मात्र आधा वेतन अब भी पा रहे हैं।
जबकि न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत मध्य प्रदेश के आउटसोर्स कर्मियों का मिनिमम वेजेस प्रत्येक 5 साल में बढ़ाये जाने का प्रावधान है। पिछली बार मध्य प्रदेश में 10 मई, 2016 को मिनिमम वेजेस रिवाईज़ हुआ, वह 5 वर्ष बाद 10 मई, 2021 को रिवाईज़ होना था, किन्तु कोरोना की आड़ लेकर श्रम आयुक्त ने 7 वर्ष बीतने पर भी अब तक वेजेस रिवाईज़ नहीं किया है। इस पर सीएम चौहान ने मिनिमम वेजेस वृद्धि को लेकर जल्द ही कदम उठाने का आश्वासन दिया।