Saturday, January 4, 2025
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आउटसोर्स कर्मियों ने बिजली कंपनी को करोड़ों की आर्थिक क्षति से बचाया, चोरी के प्रयास को किया असफल

बिजली कंपनी के आउटसोर्स कर्मियों की सजगता और सूझबूझ से एक बड़ी वारदात टल गई, अन्यथा बिजली कंपनी को करोड़ों की आर्थिक क्षति हो जाती। मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के विदिशा जिले में स्थित 132 केवी सब-स्टेशन शमशाबाद के चालू पावर ट्रांसफामर्स से तांबे की अर्थिंग पट्टी (कॉपर स्ट्रिप) को निकालने के प्रयास को सब-स्टेशन के आउटसोर्स ऑपरेटर धीरेन्द्र राठौर, निरंजन विश्वकर्मा एवं सुरक्षा सैनिक दीपक पॉल ने अपनी हिम्मत, सूझबूझ और कर्तव्यनिष्ठा का अनूठा उदाहरण पेश करते हुये असफल कर दिया। जिससे रबी के इस सीजन में शमशाबाद, बैरसिया, सिरोंद क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के लंबे समय तक प्रभावित होने की आंशका को टाला जा सका।

विगत दिवस 132 केवी सब-स्टेशन शमशाबाद में क्रियाशील दो पावर ट्रांसफार्मरों में से सशस्त्र चोरों द्वारा बहूमूल्य एवं सबस्टेशन की सबसे संवेदनशील तांबे की पट्टियां चोरी किये जाने का प्रयास किया जा रहा था। चोर यार्ड फेसिंग काटकर ट्रांसफार्मर तक पहुंच गये थे, ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा सैनिक दीपक पॉल को गश्त के दौरान जैसे ही इसकी भनक लगी आउटसोर्स ऑपरेटर धीरेन्द्र राठौर एवं निरंजन विश्वकर्मा के साथ मिलकर तीनों ने चोरों को पकड़ने की कोशिश की लेकिन अंधेरे का फायदा उठाकर चोर भाग गये। समय पर सचेत और सजग रहने के कारण चोरी का यह बड़ा प्रयास टाला जा सका।

यह भूमिका है कॉपर स्ट्रिप की 

लगभग 4-5 करोड़ रूपये कीमत के पावर ट्रांसफार्मर में तांबे के पट्टी (कॉपर स्ट्रिप) की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, यह सब-स्टेशन में किसी फाल्ट के कारण उत्पन्न होने वाले हजारों एम्पीयर के करेंट को यह संवेदनशील कॉपर स्ट्रिप अपने में से प्रवाहित कर अर्थ कर देती है। इसके कारण उपकरण और सब-स्टेशन में कार्यरत कर्मी सुरक्षित रहते है। यदि चालू ट्रांसफार्मर से कॉपर स्ट्रिप अलग करने का प्रयास किया जाता है तो वह न केवल निकालने वाले के लिये घातक रहती है बल्कि इससे ट्रांसफार्मर के क्षतिग्रस्त होने के पूरी आशंका पैदा हो जाती है।

यदि चोर अपने मकसद में सफल हो जाते तो जहां मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी को 4-5 करोड़ रुपये का आर्थिक क्षति पहुंचती, वहीं क्षेत्र में ऐन वक्त रबी के सीजन में किसानों और विद्युत उपभोक्ताओं को हफ्तों बिजली आपूर्ति प्रभावित हो जाती, क्योंकि हर ट्रांसफार्मर विशेष आर्डर के हिसाब से ही बनाये जाते है, जिनके आने, नया ट्रांसफार्मर स्थापित कर ऊर्जीकृत करने में कम से कम 3 से 4 माह का समय भी लग सकता है।

कर्मियों को किया गया पुरस्कृत

सब-स्टेशन के इन आउटसोर्स कर्मियों द्वारा दिखाये गयी सूझबूझ और बहादूरी के लिये एमपी ट्रांसको के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी के निर्देश पर अधीक्षण अभियंता एमपी पटेल एवं कार्यपालन अभियंता संजय श्रीवास्तव द्वारा 132 केवी सब-स्टेशन बैरसिया एवं रूनाहा तथा 220 केवी सब-स्टेशन विदिशा के समस्त कर्मचारियों की उपस्थिति में आउटसोर्स कर्मियों को सम्मानित कर पुरस्कृत किया गया।

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