मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर के प्रांतीय अध्यक्ष व्हीकेएस परिहार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विद्युत वितरण कंपनियों में कार्यरत आऊटसोर्स कर्मियों के लिए स्थायी नीति बनाकर संविलियन करने की मांग की है। पाने पत्र में व्हीकेएस परिहार ने कहा कि आपको विदित है कि मप्र की विद्युत कंपनियों में लगभग 40,000 आऊटसोर्स कर्मचारी विभिन्न वर्गों में कार्यरत है। यहां पर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि ट्रांसमिशन एवं वितरण के क्षेत्र में पूरी व्यवस्था इन्ही आऊटसोर्स कर्मचारियों की वजह से मप्र में सुचारू रूप से संचालित है।
फोरम द्वारा लगभग 3 वर्षों आऊटसोर्स कर्मचारियों के संबंध में पारिश्रमिक बढ़ाने एवं अन्य राज्यों की तरह उनके संविलियन की मांग करता रहा है। वर्तमान में भी आऊटसोर्स कर्मचारी अपने स्तर से धरना प्रदर्शन करते रहे है एवं ऊर्जा मंत्री द्वारा भी उनकी मांग पर विचार करने का लगातार 1 वर्ष से आश्वासन दे रहे है, लेकिन आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जिससे कि सभी आऊटसोर्स कर्मचारी आक्रोषित है एवं उनके द्वारा 6 जनवरी 2023 से अनिश्चितकालीन कार्यवहिष्कार की घोषणा की थी, जिसके तारतम्य में प्रमुख सचिव द्वारा 5 जनवरी 2023 को फोरम एवं उनके प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर उक्त आन्दोलन को स्थगित करने के अनुरोध के साथ मुख्यमंत्री से 15 दिवस के अन्दर वार्ता कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन 15 दिन व्यतीत होने के बाद भी वार्ता न कराने के कारण दिनांक 21 जनवरी 2023 से उनके द्वारा पुनः आन्दोलन शुरू किया गया था, जिसे ऊर्जा मंत्री एवं कई सासंद एवं विधायको के आश्वासन के उपरांत समाप्त कर दिया गया था। लेकिन प्रशासन एवं प्रबंधन द्वारा इस दौरान लगभग 1000 आऊटसोर्स कर्मियों की सेवायें समाप्त कर दी गयी है जिससे उनके परिवार के ऊपर गंभीर संकट खड़ा हो गया है, जो कि अत्यंत दुःखद एवं शासन-प्रशासन की हठधर्मिता प्रदर्शित करती है। अतः फोरम माननीय से अनुरोध करता है कि निकाले गये सभी आऊटसोर्स कर्मियों को तुरंत वापिस लेने हेतु संबंधितों को निर्देशित करने का कष्ट करें।
उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान में लाना आवश्यक है कि विद्युत वितरण कंपनियों में आऊटसोर्स कर्मचारियों को बिना प्रशिक्षण दिये विद्युत सुधार हेतु नियम विरूद्ध पोल पर कार्य करने हेतु मजबूर किया जाता है क्योंकि वितरण कंपनियों में विद्युत व्यवस्था सुधार के लिये नियमित कर्मचारियों की भारी कमी है, इसलिये इन कर्मचारियों से मैदानी अधिकारियों द्वारा मजबूरी में कार्य कराया जाता है। विद्युत लाईनों में कार्य के दौरान पिछले 2 वर्षों में लगभग 200 दुर्घटनाओं में आऊटसोर्स कर्मचारियों की असमय मृत्यु हुई है लेकिन शासन द्वारा उन्हें केवल रू. 4 लाख का दुर्घटना का लाभ दिया जाता है जो कि किसी बाह्य व्यक्ति के विद्युत दुर्घटना के लिये भी दिया जाता है। विद्युत वितरण कंपनियों में इस प्रकार की दुर्घटनायें लगातार होने के बावजूद शासन एवं प्रबंधन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही न करना प्रबंधन की लाईन कर्मचारियों के प्रति उदासीनता प्रदर्शित करती है।
वर्तमान में मुख्यमंत्री के द्वारा सभी विभागों के कर्मियों को उनके बेहतर भविष्य के लिये मानदेय में वृद्धि की घोषणा के साथ-साथ आदेश भी प्रसारित किये जा रहे है, इसी प्रकार विद्युत कंपनियों के कर्मचारी भी माननीय से यह अपेक्षा रखते है कि उन्हें भी सभी विभागों की तरह मानदेय में वृद्धि करते हुये उनकी भी सेवायें सुरक्षित रखने हेतु आदेश प्रसारित किये जायेगें। अतः फोरम मांग करता है कि आऊटसोर्स कर्मचारियों के कार्य की परिस्थित जो कि अत्यंत जोखिम पूर्ण है, को देखते हुये न्यूनतम वेतन 15000 रुपए करते हुये, कम से कम 20 रुपए लाख का दुर्घटना बीमा किये जाने हेतु संबंधितों को निर्देशित करने का कष्ट करें। फोरम मुख्यमंत्री से अनुरोध करता है कि उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये तुरंत निकाले गये कर्मियों को वापिस लिया जाये एवं उक्त मांगों को अन्य विभागों के अनुसार वेतन वृद्धि एवं दुघर्टना बीमा की घोषणा समय-सीमा में करने का निवेदन है।