मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रगत शैक्षणिक अध्ययन संस्थान (पीएसएम) जबलपुर प्राचार्य द्वारा संस्थान का प्रभार संभालते ही कई लाख रुपये का अपव्यय अनावश्यक कमीशन कमाने के लिए किया गया है।
प्राचार्य द्वारा लाखों रुपयें का बेशकीमती फर्नीचर, पलंग, पंखे, आलमारी, सैकड़ों साल पुराने एतिहासिक लालटेन बिना निविदा के ही सैकड़ों में बेच दिया गया। साथ ही महाविद्यालयों के छात्रों की फीस की राशि व अन्य मदों की राशि को अपने शासकीय खण्डहर बंगले को आलीशान बनाने में व्यय किया गया है, जबकि शासन के आदेशानुसार पीडब्ल्यूडी द्वारा एस्टीमेट बनाकर शासकीय बंगले मरम्मत की राशि शासन स्तर से स्वीकृति कर जारी की जाती है।
संघ का कहना है कि महाविद्यालय के छात्रों की फीस से अपने शासकीय बंगले की मरम्मत कराना धोर वित्तीय अनियमित्ताओं की श्रेणी में आता है। पीएसएम के प्राचार्य के द्वारा लगातार ऐसे कारनामें किये जा रहे हैं, जो वित्तीय अनियमित्ताओं की श्रेणी में आते हैं। इसके पूर्व भी उनकी पदस्थापना जहाँ–जहाँ रही है, उनके विरुद्ध जाँचे चलती रही है और वे इसके आदि हो चुके हैं।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अवधेश तिवारी, संजय यादव, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, चन्दू जाउलकर, अरूण दुबे, आर.के. गोलाटी, दुर्गेश पाण्डेय, गोविन्द बिल्थरे, रजनीश तिवारी, डी.डी. गुप्ता, विपिन श्रीवास्तव, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटेल, अजय दुबे, उमेश शर्मा, विपिन शर्मा, सुधीर पण्डया, राकेश राव, सतेन्द्र ठाकुर, वीरेन्द्र चंदेल, एस.पी. बाथरे, सुसेन्द्र सेंगर, अंकुर प्रताप सिंह, अंकित मिश्रा, मनोज सिंह आदि ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग एवं आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल को ईमेल भेजकर मांग की है कि प्राचार्य आरके स्वर्णकार द्वारा की जा रही वित्तीय अनियमित्ताओं की सूक्ष्म जांच शीघ्र कराकर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये।